आल्हा गंगा मैया की महिमा - Traditional


F:-    आइये आज मै पतित पावनी गंगा मैया की कथा सुनाने जा रही हूँ गंगा मैया कैसे धरती पर आयी किस प्रकार धरती पर आयी कैसे भगीरथ माँ गंगा को धरती पर लाये सुनियेगा 

गिरजा लाला उदार विशाला रूप निराला बुद्धिमान 
प्रथम नमन तुम्हे संजो करती गणराजा गणपति भगवान् 
गंगा जी की पावन गाथा आल्हा में हम करे बखान 
क्यों गंगा जी धारा पे आयी करने को जग का कल्याण 
किसे आपक पडी जरुरत किसने किया तपस्या ध्यान 
स्वर्ग से धरती पर लाने को किसने माँगा था वरदान 
भोले शंकर अगर ना होते काम नहीं था ये आसान 
गंगा मैया की महिमा को सुनिए भक्तो दे कर ध्यान 
गंगा मैया की महिमा को

गंगा मैया की महिमा को सुनिए भक्तो दे कर ध्यान 
ना द्वापर की ना कलयुग की त्रेता युग की बात कहाये 
श्री राम के हुए थे पूर्वज राजा सगर नाम बताये 
साठ हजार पुत्र थे उनके मुनि श्राप से वो मर जाए 
उनका तरन तरन करना है चिंता मन में रही सताये 
तरना है कुल के लोगो को भागीरथ जी हुए तैयार 
गंगा को धरती पर लाने किये तपस्या घोर अपार 
भागीरथ की विनती फिर तो कर लिया गंगा ने स्वीकार 
लेकिन गंगा माँ कहती है रोक ना पाओगे जल धार 
लेकिन गंगा माँ कहती है

लेकिन गंगा माँ कहती है रोक ना पाओगे जल धार 
इसके लिए फिर भागीरथ ने महादेव से किया गुहार 
कुछ सालो के बाद में शम्भु सुन के भागीरथ की पुकार 
गंगा जी का वेग रोकने आगे आये है त्रिपुरार 
फिर गंगा का हुआ आगमन जिनकी तेज बही रफ़्तार 
शिव बाबा ने जटा में अपनी गंगा जी को लिया संभाल 
अगर रोकते ना शिव शंकर गंगा जी जाती पाताल 
कैसे तरते श्रापित जन मन में छाया बड़ा मलाल 
भोले जी थामे गंगा को तरे सगर के सारे लाल 
भोले जी थामे गंगा को

भोले जी थामे गंगा को तरे सगर के सारे लाल 
श्री राम जिस कुल में जन्मे राम है रघुकुल की संतान 
वही एक रघुकुल है ऐसा भागीरथ जी हुए महान 
जिनके तप से गंगा आयी करने को कुल का कल्याण 
मोक्ष दायनी कहलाती है देती हमको जीवनदान 
करुणा हम पर बरसाती है माँ है करुणा की पहचान 
जीवन के हर संकट हरती करती है मुश्किल आसान 
पावन जल इसका कहलता बून्द बून्द अमृत के सामान 
गंगा जल में डुबकी मारने आते साधु संत सुजान 
गंगा जल में डुबकी मारने

गंगा जल में डुबकी मारने आते साधु संत सुजान 
गंगा का सेवन करने से मिलता हमको पुण्य अपार 
माता और पिता दोनों के कुल का हो जाता उद्धार 
कहते है जो एक माह तक करे जो जल सेवन लगातार 
यज्ञो का फल उसको मिलता कर नहीं सकते हमें निहाल 
सब पापो का नाश करे जो वो देवी गंगा कहलाये 
लिखा है जो अग्नि पुराण में रहे आपको हम बतलाये 
गंगा तीर्थ की मिट्टी को तन पे जो धारण कर जाए 
सूरज के सामान पापो का मानव उसको रहा मिटाये 
सूरज के सामान पापो का

सूरज के सामान पापो का मानव उसको रहा मिटाये 
छुए या दर्शन पा जाए चाहे करे गंगा जलपान 
प्रेम पूर्वक करे कीर्तन और करे गंगा स्नान 
पावन हो जाता है वो तो पापी से पापी इंसान 
कलयुग में गंगा की महिमा सबसे उत्तम है बतलाये 
सब तीर्थ अपनी शक्ति को छोड़ने गंगा जी में आये 
पर गंगा जी अपनी शक्ति नहीं छोड़ने कही पे जाए 
देवो और ऋषियों ने छुआ तो पावनता इसकी बढ़ जाए 
अध्भुत सिद्ध हिमालय पर्वत जहाँ से गंगा निकली आये 
अध्भुत सिद्ध हिमालय पर्वत

अध्भुत सिद्ध हिमालय पर्वत जहाँ से गंगा निकली आये 
रोग विनाशक जल गंगा का मान चूका जिसको विज्ञान 
फ्रांस के डॉक्टर गंगा जल से कई रोगो का किये निदान 
जब शाशन अंग्रेजो का था बहुत पुरानी है ये बात 
गंगा जल में बड़ा करिश्मा गंगा जल में है करामात 
अंग्रेजो ने भी गंगा के जल को मना लाजबाब
हुगली से इंग्लॅण्ड ले गए वर्षो जल ना हुआ ख़राब 
कितने झरने कितने नाले कितने जल मिले खाये 
लेकिन गंगा मैया अपनी पावन थी पावन कहलाये 
लेकिन गंगा मैया अपनी

लेकिन गंगा मैया अपनी पावन थी पावन कहलाये 
अकबर भी गंगा के जल को अमृत के जैसा बतलाये 
गंगा जी से जल बुलवा के आदर भाव से पीता जाए 
आईने अकबरी में उसकी यही इबारत कही लिखाये 
युग बीते और सादिया बीती आज भी गंगा बीती जाए 
हर पापी को करे अपवान और भक्तो को धन्य बनाये 
अगर इसे हम पानी माने तो पानी का धर्म निभाए 
जो पीता शीतल हो जाता रहा वो अपनी प्यास बुझाये 
देवी रूप अगर जो माने देवी जैसी दया लुटाये 
देवी रूप अगर जो माने

देवी रूप अगर जो माने देवी जैसी दया लुटाये 
जहाँ जहाँ से गंगा निकली बस्ती नगरी दिया बसाये 
जलचर नभचर और पशुओं का जीवन से जल से रही चलाये 
जीवन दाती गंगे मैया खेती किसानी रही कराये 
लाखो एकड़ गंगा किनारे सब्जी भाजी लोग उगाये 
गंगा जल से कर के सिचाई गेहूं धान की फसल लगाए 
व्यापारी जल की सुविधा से बड़े बड़े व्यापार चलाये 
लाखो घर परिवार चलाती कोई गिनती जाने नाये 
हर हर गंगे बोल बोल के लोग तो चंगे होते जाये 
हर हर गंगे बोल बोल के

हर हर गंगे बोल बोल के लोग तो चंगे होते जाये 
किसी रूप में पूजे माँ को गंगा देती आशीर्वाद
 गंगा जी को माँ जो माने और कहे खुद को औलाद 
उसका सारा जीवन माई खुशियों से करती आबाद 
सुख वैभव से हर्षाये वो जैसे फसल रही लहराए 
गंगा जैसी शीतलता उसके मन में रही समाये 
दुःख जीवन में आये जाए दुःख से लेकिन ना घबराये 
शाम सवेरे माँ गंगा का नाम प्रेम से भजता जाए 
हर संकट से मुक्त करे माँ भव सागर से पार लगाए 
हर संकट से मुक्त करे माँ

हर संकट से मुक्त करे माँ भव सागर से पार लगाए 
हर तीरथ का स्वामी यही जो वो प्रगायराज कहलाये 
गंगा जी से पावन होने वो खुद इलाहाबाद है आये 
गंगा जी का तट पाने से मान प्रतिष्ठा उसने पाए 
सारे जग में इसके जैसा पावन तीर्थ दूजा नाये 
लाखो लोग यहाँ दुनिया से उनो अमावस आते जाए 
ये सब महिमा गंगा जी की संगम में मेला भरवाए 
यहाँ पर मिल कर के यमुना भी गंगा में बदली कहलाये 
दिखती नहीं है सरस्वती माता वो पाताल में रही समाये 
दिखती नहीं है सरस्वती माता
दिखती नहीं है सरस्वती माता वो पाताल में रही समाये 
गंगा जी के घात किनारे बने हजारो पावन धाम 
जहाँ पे केवल आ जाने से मिल जाता है मन को आराम 
गंगा जी की महा आरती गूंजे गंगा माँ का नाम 
यज्ञ भवन भंडारे कीर्तन होते रहते आठो याम 
कही पे छोटे छोटे बने है कही पे विशाल बने है घाट 
वन जंगल नगरों में देखो कही है माँ के छोटेपाट 
कही बड़ा विकराल रूप है चौड़ाई है कही विराट 
गहराई की थाह नहीं है माँ गंगे के प्यारे ठाट 
गहराई की थाह नहीं है

गहराई की थाह नहीं है माँ गंगे के प्यारे ठाट 
वैतरणी है पावन गंगा भव सगर से पार कराये 
तीन दिवस तक लगतार जो गंगा जी में डुबकी लगाए 
जन्म जन्म के पाप है मिटते कायाकल्प यहाँ हो जाए 
गंगा जल से जड़ी बुटिया हिम पर्वत से बह के आये 
जड़ी बूटियों के कारन ही गंगा जल अमृत हो पाए 
डिब्बा में भी बंद रखे तो कई वर्षो तक साफ़ कहाये 
लगातार सेवन करने से तन के सारे रोग मिटाये 
चमत्कारणी गंगा मैया आओ इसकी जय जय गाये 
चमत्कारणी गंगा मैया

चमत्कारणी गंगा मैया आओ इसकी जय जय गाये 
यमुना मैया प्रेम की देवी गंगा तट पर मिलता ज्ञान 
गंगा तीर रहने वाले लोग हजारो गई विद्वान 
माँ गंगा की कर के सेवा हुए सैकड़ो लोग महान 
जिनो पूरा देश जानता और जानता सकल जहां 
बहुत नाम साहित्य जगत में चमक रहे सूरज के सामान 
गंगा जी की महिमा ऐसी बता रहे है वेद पुराण 
राजनीति में भी देखो नामी हुए आम इंसान 
जैसी भक्ति होती जिसकी पा जाता वैसा वरदान 
जैसी भक्ति होती जिसकी

जैसी भक्ति होती जिसकी पा जाता वैसा वरदान 
वेद रहित जान तरनि माता नहीं पूछती किसी से जात
हिन्दू हो या चाहे मुस्लिम देती निर्मल जल सौगात 
शिव शंकर के शीश विराजी नदियों की गंगा सरताज 
धो  पापियों के पाप निरंतर गंगा हो गई मिली आज 
 फिरते है जो जन सेवक बन के करते है वो खोटे काम 
कोटि कोटि धन लील रहे है ले कर के गंगा का नाम 
लुप्त कही हो जाए ना गंगा कब तक जागेगी सरकार 
लुप्त कही हो जाए ना गंगा कब तक जागेगी सरकार 
लिखा निरंजन सेन ने आल्हा संजो बघेल करे जयकार 
संजो बघेल करे जयकार संजो बघेल करे जयकार 

Singer - Traditional