अब तो बाबा सुन लो,
हम भक्तों की दरकार,
अब के जनमदिन से पहले,
तुम खोल देना दरबार।।
तर्ज – सावन का महीना।
हारे है बाबा हम तो,
बिना तेरे सांवरे,
जीवन की डोर बांधी,
तेरे ही संग सांवरे,
कार्तिक की ग्यारस पर,
हमें दे दो ये उपहार,
अब के जनमदिन से पहले,
तुम खोल देना दरबार।।
मिलने की चाहत दिल का,
चैन चुराए,
रातों की नींद मेरी,
उड़ी उड़ी जाए,
तरस रहें हैं नैना,
तेरे दर्शन के दिलदार,
अब के जनमदिन से पहले,
तुम खोल देना दरबार।।
अखियों में आंसू भरे,
बैठे इन्तजार में,
भूखे है हम तो बाबा,
प्यासे तेरे प्यार में,
‘चहल’ दीवाने की तो,
अर्जी पढ़ लो सरकार,
अब के जनमदिन से पहले,
तुम खोल देना दरबार।।
अब तो बाबा सुन लो,
हम भक्तों की दरकार,
अब के जनमदिन से पहले,
तुम खोल देना दरबार।।
Singer - महावीर अग्रवाल बसु