आल्हा दीपावली की - Traditional


F:-        हे वरदाता हे सुखदाता पार्वती माँ की संतान
 लाज रखियो प्रभु हमारी गणराजा गणपति भगवान् 
हाथ जोड़ के प्रेम पूर्वक पहले तेरा कर के ध्यान 
दीपावली का प्यारा आल्हा संजो करती आजा बखान 
कब से मना रहे दिवाली आप सभी को रहे सुनाये 
साधु संत ऋषि सन्यासी खुशहाली सब रहे मनाये 
ये त्यौहार बड़ा ही पावन इसकी गाथा प्रेम से गाये 
इसके जैसा दुनिया भर में दूजा ना त्यौहार कहाये 
इसके जैसा दुनिया भर में

F:-        इसके जैसा दुनिया भर में दूजा ना त्यौहार कहाये 
        भीख मांगने वाला भीतो इस त्यौहार को रहा मनाये 
कितना भी गरीब हो कोई अपने घर में दीप जलाये 
दीपो का उत्सव है ये तो दीपो का त्यौहार कहाये 
पुरे देश का कोना कोना लोग यहाँ देते चमकाए 
युग बीते और सादिया बीती बहुत पुराना है इतिहास 
प्रभु राम जी काटे के आये चौदह वर्षो का वनवास 
घी के दीप जले घर घर में जन जन में छाया उल्लास 
नगर अयोध्या पहली दीवाली कार्तिक मास अमावस्या ख़ास 
नगर अयोध्या पहली दीवाली 

F:-        नगर अयोध्या पहली दीवाली कार्तिक मास अमावस्या ख़ास 
        तैरता युग की बात है सुन लो छइयां खुशियां अपरम्पार 
विजय दिवस के बाद राम जी आये थे अपने ही द्वार
ढोल नगाड़े बजा बजा के प्रजा करे स्वागत सत्कार 
उसी रोज से हर कार्तिक को होये दिवाली त्यौहार 
बड़े बड़े उधोगपति हो चाहे छोटे हो व्यपार 
कोठी महल और झोपड़े बाँध रहे सब बंधन वार 
साफ़ सफाई कर के पुताई चमकाते अंगना दिवार 
लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करता हर परिवार 
लक्ष्मी जी और गणेश जी की 

F:-        लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करता हर परिवार 
चमके दमके आँगन द्वारे कर ले ज्यों दुल्हन शृंगार 
स्वर्ग की जैसी लगती धरती इंद्र धनुष सी चमक अपार 
चाँद सितारों जैसा जगमग छिटका ज्यों तारो का हार 
एक दूजे को बाँट रहे हम कीमती और सुन्दर उपहार 
गांव से ले के नगरों तक सज जाते सारे बाजार 
सोना चांदी हीरे मोती कोई ख़रीदे मोटर कार 
बर्तनो हो चाहे कपडे हो सिक्के हो कोई कलदार
कुछ ना कुछ घर में लाने को हर कोई रहता तैयार 
कुछ ना कुछ घर में लाने को 

F:-        कुछ ना कुछ घर में लाने को हर कोई रहता तैयार 
पूजा पाठ वाली चीजों की हफ्तों से रहती भरमार 
दिवाली त्यौहार है ऐसा हर चीजों की हर दरकार 
लायी धान के और बतासे पूजा पाठ के है आधार 
सबसे ज्यादा इन चीजों के घर घर में आते खरीदार 
हर चीजे मिलती बाजार में बाजार रहती गुलजार 
धन धंदे सबके जमके चलती चांदी काटे दुकानदार 
फूल भी लाखो के बिक जाते छोटे बड़े सब बिकते हार 
रंग बिरंगी झालर चमके ज्योति की है जैसे बहार 
रंग बिरंगी झालर चमके

F:-        रंग बिरंगी झालर चमके ज्योति की है जैसे बहार 
घर घर लोग मिठाई लेते पूजा में भी दे चढ़ाये 
लायी बतासे और मिठाई पूजा का प्रसाद कहाये 
ये प्रसाद बाँट कर हम तो वापस में व्यवहार निभाए 
परंपरा है बहुत पुरानी जिसको पूरा करते जाए 
ऐसी रीती अनेको है पर सबसे ख़ास यही कहलाये 
लाखो बरस हुए है लेकिन अब तक मान नहीं घट पाए 
इस भूमि पर रहने वाले प्रेम से त्यौहार मनाये 
इस विशाल भारत की सुन लो दिवाली तो शान कहाये 
इस विशाल भारत की सुन लो

F:-        इस विशाल भारत की सुन लो दिवाली तो शान कहाये
         लक्ष्मी और गणेश की पूजा दिवाली में लोग कराये 
लक्ष्मी जी को खुश करने को भाति भाति के यत्न कराये 
यंत्र तंत्र और मन्त्र विधि से लक्ष्मी का पूजन करवाए 
जो जितनी क्षमता वाला है वैसा अनुष्ठान करवाए 
फिर दिन दुनि रात चौगनी लक्ष्मी माता दया लुटाये 
इस कारन से ये दिवाली सिद्धि कारक है बतलाये 
जिसकी जैसी होती पूजा उसको वैसा फल मिल जाए 
हर गरीब और दौलत वाले लक्ष्मी जी की जय जय गाये 
हर गरीब और दौलत वाले 

F:-        हर गरीब और दौलत वाले लक्ष्मी जी की जय जय गाये 
आतिशबाजी और पटाके दिवाली में लोग जलाये 
भिन्न भिन्न आवाजों वाले हर कीमत में मिलते जाए 
रंग बिरंगी आतिशबाजी आसमान रंगीन बनाये 
धरती से लेकर अम्बर तक छटा रौशनी है छिटकाये 
नहीं ख़ुशी का कोई ठिकाना मस्ती में सब पर्व मनाये 
एक दूजे के घर पर आ के खूब बधाई रहे लुटाये 
सरकारी छुटी रहती है छुटी का आनंद उठाये 
हर परिजन परिवार साथ में व्यंजन खाये और खिलाये 
हर परिजन परिवार साथ में

F:-        हर परिजन परिवार साथ में व्यंजन खाये और खिलाये 
मस्ती जोश रहे बच्चो में पढ़ना लिखना जाते भूल 
याद नहीं रहता है इनको कब तक जाना है स्कूल 
सुन्दर सुन्दर देख पटाखे हो जाते इन में मसगूल 
निर्मल मन के भोले बच्चे कहलाते आंगन के फूल 
धमा चौकड़ी जब करते है बिगड़ ना जाए कोई बात 
इनको नहीं अकेला छोड़े भैया दिवाली की रात 
आतिशबाजी अगर चलाये आप रहे बच्चो के साथ
घटना कोई घट ना जाए ख़ुशी के ना बिगड़े हालात 
घटना कोई घट ना जाए

F:-        घटना कोई घट ना जाए ख़ुशी के ना बिगड़े हालात 
घर घर में माते बहने घर घर की लक्ष्मी कहलाये 
द्वारे द्वारे आंगन अंगना खूब रंगोली रही सजाये 
सुन्दर की छटा बिखरे नज़रे अपनी ठहर ना पाए 
नहीं कल्पना हम कर सकते ऐसी झांकी रही बनाये 
        तन मन धन से रहे समर्पित कोना कोना घर चमकाए 
नहीं छोड़ती कसर जरा भी घर को रखती स्वर्ग बनाये
मन चाहे पकवान बनाती प्रेम भाव से रही खिलाये 
मातायें बहनो के दम से घर में खुशहाली कहलाये 
मातायें बहनो के दम से घर 

F:-        मातायें बहनो के दम से घर में खुशहाली कहलाये 
दिवाली ऐसा उत्सव है पशु पक्षी में भी ख़ुशी मनाये 
गाये बैल बकरी भैसो को इनके मालिक रहे सजाये 
इस दिन मान सभी का होता भाति भाति के भोजन पाए 
सबको बढियाँ नहलाते है है देते रंगो से चमकाए 
मालकिन पर प्रेम उड़ेले माला फूलो की पहनाये 
जहाँ भी इनको बाँध के रखते आस पास कई दीप जलाये 
और दूसरे दिन पशुओं को ढोल बाजा के खूबा नचाये
बना वीडियो मोबाइल में दूर दूर तक रहे भिजाये 
बना वीडियो मोबाइल में 

F:-        बना वीडियो मोबाइल में दूर दूर तक रहे भिजाये 
कभी ना इसको भूल सकेंगे दिवाली त्यौहार कहाये 
खुल के ख़ुशी मना ले लेकिन आपको हम इतना समझाए 
दीपो का त्यौहार है ये तो ज्योति जम के खून जलाये 
कर ले दूर अँधेरा घर का पर्यावरण को नहीं मिटाये 
इतनी ज्यादा आतिशबाजी कोई भी अब नहीं जलाये 
आस पास के हर पेड़ो पर पशु पक्षी भी रात बिताये 
तेज धमाके और फटाके इन जीवो के प्राण उड़ाए 
लिखा निरंजन सेन ने अल्ल्हा संझो  बघेल प्रेम से गाये 
 संझो  बघेल प्रेम से गाये दीपावली का आल्हा सुनाये

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