भूखे उठते हैं पर भूखे सोते नहीं - bhukhe uthate hai par bhukhe sote nhi - traditional


भूखे उठते हैं पर भूखे सोते नहीं - bhukhe uthate hai par bhukhe sote nhi

 

बिन पानी के नाव खे रहा है,
वो नसीबों से ज़्यादा दे रहा है.....

भूखे उठते है पर भूखे सोते नहीं,
दुःख आते है हम पर तो रोते नहीं,

दिन रात खबर ले रहा है,
वो नसीबों से ज़्यादा दे रहा है.....

मेरा छोटा सा घर महलो का राजा है वो,
मेरी औक़ात क्या महाराजा है वो,

फिर भी साथ मेरे रह रहा है,
वो नसीबों से ज़्यादा दे रहा है.....

बनवारी दीवाने बड़े से बड़े,
इनके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,

फिर भी अर्ज़ी मेरी सुन रहा है,
वो नसीबों से ज़्यादा दे रहा है.....

 

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