गाथा तुलसी विवाह की - Traditional


M:-        देव उठावनी  एकादशी  की कथा सुनाते है पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है हम कथा सुनाते है 
कैसे पूज्य हुयी माँ तुलसी ये बतलाते है तुमको समझाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की  हम गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान 

M:-        दैत्य राज एक काल नेमि की कन्या थी वृंदा 
रूप सुहावन था मनभावन मुखड़ा ज्यों चंदा
कोरस :-      मुखड़ा ज्यों चंदा
M:-        गोल कपोल लटे घुंघराली कनक बदन दमके
गले में कंचनहार पांव में पैजनिया झनके 
कोरस :-     पांव में पैजनिया झनके 
M:-        काल नेमि की लली नवेली स्वर्ण लता सी थी 
चाँद के जैसी आंखे पलके श्याम घटा सी थी 
कोरस :-     पलके श्याम घटा सी थी 
M:-        काल नेमि की थी वो लाड़ली जान से थी प्यारी 
उसके घर के आंगन की थी वृंदा फुलवारी 
कोरस :-     बेटी वृंदा फुलवारी 
M:-        आओ अब एक असुर जालंधर से मिलवाते है  
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान 

M:-        जालंधर के संग प्रणय सूत में बंध  गई थी वृंदा 
रूपवान गुणवान बड़ी थी काल नेमि कन्या 
कोरस :-      बड़ी थी काल नेमि कन्या 
M:-        पत्नी धर्म का पालन करती पति व्रता नारी 
पति जलंधर बड़ा अधर्मी था अत्याचारी 
कोरस :-     जलंधर था अत्याचारी 
M:-        सत्ता मद में चूर जलंधर चला क्षीर  सागर 
सोचा मई आनंद करूंगा लक्ष्मी को पा कर 
कोरस :-     हाँ हाँ लक्ष्मी को ला कर 
M:-        टूट गया अभिमान दैत्य का हार गया उनसे 
लक्ष्मी जी ने भाई उसको मान लिया मन से 
 कोरस :-     भाई मान लिया मन से 
M:-        जल से था उत्पन हुआ वो ये समझाते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान 

M:-        माता पार्वती को पाने चला दैत्य कैलाश 
पूर्ण रूप से बुद्धि उसकी करने चली विनास 
कोरस :-     बुद्धि करने चली विनास 
M:-        पर नारी का गमन जलंधर के मन भाता था 
सुन्दर नारी देखि अगर उसको हर लाता था 
कोरस :-     नारी को हर लाता था 
M:-        पति व्रता थी उसकी पत्नी वृंदा सुकुमारी 
पतित पावनि मन की निस्चल थी उसकी नारी 
कोरस :-     निश्चल थी उसकी नारी 
M:-        होने ना देती हार पति की पति व्रता शक्ति 
पति की ही वो पूजा करती पति की ही भक्ति 
कोरस :-     करती पति की ही भक्ति 
M:-        अब होता है आगे जो तुमको बतलाते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान 

M:-        पति व्रत पत्नी के धर्म से मिलता पति को बल 
बढ़ता जाता जलंधर का प्रतिदिन दानव दल 
कोरस :-     प्रतिदिन दानव दल 
M:-        त्राहि त्राहि मच गई थी स्वर्ग में मचा था हाहाकार 
जलंधर का ताप बढ़ गया बढ़ गया अत्याचार 
कोरस :-     उसका बढ़ गया अत्याचार 
M:-        देवो में फिर हुयी मंत्रणा सबने किया विचार 
जलंधर की पत्नी वृंदा है ताकत का सार 
कोरस :-     वृंदा है ताकत का सार 
M:-        जब तक पति व्रत भंग ना होगा इसकी  पत्नी का 
तब तक फल नहीं मिल सकता है इसकी  करनी का 
कोरस :-     फल इसकी करनी का 
अब आगे की कथा सुनो हम तुम्हे सुनाते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान

M:-        जलंधर का वेश धर कर के आये श्री विष्णु भगवान 
पहुंच गए वृंदा के द्वारवो  करने जगत कल्याण
कोरस :-     विष्णु करने जगत कल्याण  
M:-        देख पति को वृंदा मन में होने लगी निहाल 
हाथ जोड़ अभिनन्दन कर फिर जल लायी तत्काल 
कोरस :-     वृंदा जल लायी तत्काल 
M:-        रात्रि में फिर पति के संग में प्रणय शयन किया 
प्रात उठ के वृंदा ने फिर पति को नमन किया 
कोरस :-     फिर पति को नमन किया 
M:-        पतिव्रत धर्म नष्ट हुआ तो उसका हुआ असर 
युद्ध में हो गई हार पति की गिरा शीश  कर 
कोरस :-    पति का गिरा शीश कट कर 
M:-        मारा गया जलंधर जब क्या हुआ बताते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान

M:-        वृंदा को जब पता चला श्री विष्णु के छल का 
दिखलाया वृंदा ने असर तब सतीत्व बल का 
कोरस :-     तब सतीत्व बल का 
M:-        क्रोध में आ वृंदा विष्णु से बोली कटु वाणी 
विष्णु जी क्यों ह्रदय हो गया आपका का पाषाणी 
कोरस :-     हो गया ह्रदय पाषाणी 
M:-        किया सतीत्व है भांग हमारा देती हूँ मै श्राप 
बन जाओ पाषाण तुरत ही खड़े खड़े ही आप 
कोरस :-     तुरत ही खड़े खड़े यही आप 
M:-        पत्थर बन गए श्री विष्णु जी खड़े खड़े तत्काल 
पता चला जब स्वर्ग लोक में आ गया था भूचाल 
कोरस :-     स्वर्ग में आ गया था भूचाल 
M:-        सृष्टि का संतुलन बिगडने लगा  बताते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान

M:-        क्षमा याचना करे देवता वृंदा नारी से 
हाथ जोड़ कर विनती करते है बारी बारी से 
कोरस :-     विनती बारी बारी से 
M:-        वापस ले लो श्राप को अपने हरी को मुक्त करो 
क्षीर बीच फिर शेष की शैया विष्णु युक्त करो 
कोरस :-      शैया विष्णु युक्त करो 
पसीज गया था नारी का ह्रदय कर देती है क्षमा 
आँखे झुकाये खड़े हुए थे श्री विष्णु भगवान
कोरस :-     थे श्री विष्णु भगवान 
M:-         सती हो गई पति के संग में चिता हो गई राख 
उसकी राख से एक पौधे ने खोली अपनी आंख 
कोरस :-     पौधे ने खोली अपनी आँख 
M:-         नाम दिया तुलसी का हरी ने ये समझाते है 
पावन कथा सुनाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान

M:-          तुलसी रूप में वृंदा से बोले विष्णु भगवान 
देता हूँ मै हे तुलसी तुमको ऐसा वरदान 
कोरस :-     तुमको ऐसा वरदान 
M:-        रहोगी तुम हमें प्रिय हमेसा पूजी जाओगी 
मेरे पूजन में माथे पर रखी जाओगी 
कोरस :-     माथे पर रखी जाओगी 
M:-        तुलसी रूप में सदा हमारे साथ विरजोगी 
रहती दुनिया तुम तुलसी घर घर साजि जाओगी 
कोरस :-     तुलसी घर घर साजि जाओगी 
M:-        तभी से माता तुलसी जी का पूजन होता 
M:-        माता तुलसी जी का घर घर वंदन होता है 
कोरस :-     घर घर वंदन होता है 
M:-        देव उठावनी एकदाशी को व्याह रचाते है 
विष्णु जी व्याह रचाते है 
श्री विष्णु तुलसी विवाह  की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है 
कोरस :-     जय श्री विष्णु भगवान मनभावन कथा महान 
कैसे हुआ विधि विधान माँ तुलसी का सम्मान

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