गौरी स्तुति - Traditional


M:-    श्री रामचरित मानस के बालकाण्ड में श्री जानकी जो पुष्प वाटिका में माँ गौरी की माँ पारवती अम्बा जगदम्बा स्तुति करने के लिए पहुंची है बालकाण्ड की यह एक ऐसी अध्भुत स्तुति है जिन कन्याओ को सुन्दर योगय वर प्राप्त करना हो एवं जीवन के चारो फलो को प्राप्त करना हो इस स्तुति का गायन कुवारी कन्याओ को करना चाहिए 

जय जय गिरि वर राज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥..
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥ 
सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहि. मनु राचा
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानभवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
जान गौरी अनुकूल सिया हिय हरिषि ना जाए 
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे

Singer - Traditional