जब जब मेरा मन घबराता - संजय मित्तल जी।


जब जब मेरा मन घबराता,
मुझे कुछ भी समझ नहीं आता,
अपनों को ना मैं सुहाता,
मैं उनपे बोझ बन जाता,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है।।

तर्ज – ये बंधन तो प्यार का।

जीवन की ये बगिया,
मेरे श्याम ने ही है खिलाई,
हर सुख दुःख में मुझको,
पड़ता यही दिखाई,
सुख बढ़ चढ़ साथ निभाता,
दुःख द्वार खड़ा रह जाता,
मेरा श्याम खड़ा मुस्काता,
मैं झूम झूम कर गाता,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है।।

जिसको ना हो भरोसा,
वो करके भरोसा देखे,
उसकी नाव ना डूबे,
उसे श्याम ही आकर खेते,
झट नाव किनारे लगती,
हर उलझी गाँठ सुलझती,
फिर बात कभी ना बिगड़ती,
बिगड़ी किस्मत भी संवरती,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है।।

कलयुग इनका प्यारे,
तू भी इनका हो जा,
सौंप के इनको नैया,
इनकी शरण में हो जा,
आनंद ऐसा आएगा,
तू कभी ना भरमाएगा,
पाकर के श्याम की मस्ती,
तू झूम झूम गाएगा,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है।।

जब जब मेरा मन घबराता,
मुझे कुछ भी समझ नहीं आता,
अपनों को ना मैं सुहाता,
मैं उनपे बोझ बन जाता,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है।।

Singer - संजय मित्तल जी।