क्यों और कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली और फूलों की होली? (Kyon Aur Kaise Manai Jati Hai Latthamaar Holi Aur Phoolon Ki Holi?) - The Lekh


क्यों और कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली और फूलों की होली?

भक्तों आपने राधा और कृष्ण होली की कई कहानियां सुनी होंगी, जिसमें फूलों की होली, लट्ठमार होली, शामिल है, लेकिन आप में से बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि लट्ठमार होली, या फूलों की होली क्यों खेली जाती है इसलिए आज की इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री कृष्ण और राधा की होली की कहानी

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बात उस समय की है जब होली आने में कुछ ही दिन शेष रह गए थे, तब एक दिन सुबह-सुबह श्री कृष्ण अपने घर से निकलते हैं और सभी ग्वालों को एकत्र करते हुए यमुना किनारे आकर एक सभा बिठा लेते हैं ,सभा में जब उनके मित्र पूछते हैं कि क्या बात है कान्हा आज इतनी सुबह सुबह बैठक क्यों बुला ली तो कान्हा मुस्कुराते हुए कहते हैं वो  इसलिए क्योंकि होली में बहुत कम दिन शेष रह गए हैं, और हमने अब तक गोपियों को रंगने की कोई तैयारी नहीं की है और दूसरी तरफ गोपियां हैं जो हमें रंगने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं,

 तभी कान्हा जी के दोस्त उनसे कहते हैं कि कान्हा !  जब इतना बता ही दिया है तो ये भी बता दो कि गोपियों ने हमें रंगने के लिए क्या तैयारी कर रखी है?  तो कान्हा जी कहते हैं मुझे तैयारी के बारे में कुछ विशेष तो नहीं पता लेकिन तैयारी हो चुकी है मुझे इतना जरुर पता है, लेकिन तुम चिंता मत करो कल जब गोपियाँ इसी रास्ते से अपना माखन बेचने जाएंगी तब हम उन्हें रास्ते में घेर लेंगे और उनकी  तैयारियों के बारे में सभी बातें उगलवा लेंगे, ये सुनने के बाद सभी ग्वाले और कृष्ण जी मुस्कुराते हुए वहाँ से चल देते हैं

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अगले दिन सुबह सुबह जब गोपियाँ उसी रास्ते से माखन बेचने के लिए जा रही होती है, तब श्री कृष्ण और ग्वाले उन्हें घेर लेते हैं और कहते हैं कि यदि इस रास्ते से जाना है तो तुम्हें पथकर देना ही पड़ेगा, वैसे तो गोपियां हर बार पथकर देने से मना कर देती थी, लेकिन इस बार पता नहीं क्या हुआ गोपियाँ अपने आप बिना कुछ कहे पथकर देने को तैयार हो गई, और कृष्ण और उनके साथियों को दोनों को मक्खन निकाल कर दे दिया, इस पर कृष्ण और उनके साथियों को आश्चर्य हुआ कि आज सूरज कहां से निकला है जो गोपियाँ अपने आप   बिना किसी बहस के हमें पथकर देने को तैयार हो गई, उस माखन को खाने में श्री कृष्ण के सभी मित्र भयभीत हो रहे थे, कि गोपियों ने मक्खन में कुछ मिला तो नहीं दिया लेकिन उन्हें पता था कि उनके साथ श्रीकृष्ण हैं तो उन्हें डरने की कोई बात नहीं है, लेकिन कृष्ण जी गोपियों की चाल को समझ जाते हैं, वो समझ जाते हैं कि गोपियां अपना कोई भी भेद नहीं खोलना चाहती इसलिए आज वो  बिना किसी बहस के हमें मक्खन देकर यहां से चुपचाप जल्दी निकल जाना चाहती हैं

गोपियों के जाते-जाते श्री कृष्ण उनसे साफ-साफ सवाल पूछ बैठते हैं कि गोपियों जाने से पहले बता तो दो कि तुमने हमें रंगने की क्या तैयारियां कर रखी है? तब गोपिया कहती है,, वो तो हम तुम्हें नहीं बता सकते लेकिन हम तुम्हें बरसाने में होली खेलने का निमंत्रण जरूर देते हैं, श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए निमंत्रण स्वीकार कर लेते हैं और होली के दिन अपने ग्वालों के साथ बरसाने पहुंच जाते हैं

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बरसाना पहुंचते ही श्री कृष्ण और ग्वाले ये देखते हैं कि गोपिया उनके स्वागत में लट्ठ लेकर खड़ी है,,, बस इतना देखते ही ग्वाले भयभीत हो जाते हैं लेकिन श्रीकृष्ण उन्हें दिलासा दिलाते हैं कि चिंता मत करो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम लोगों को कुछ नहीं होने दूँगा,,,इतना कहने के बाद श्रीकृष्ण अपने हाथों में गुलाल लेकर गोपियों को लगाने के लिए पहुंच जाते हैं,और  गोपियाँ उनसे बचने के लिए प्रेमवश उन पर लट्ठों की वर्षा कर देती है, लेकिन  श्रीकृष्ण और ग्वालें लट्ठों की वर्षा से बचते हुए गोपियों को गुलाल लगाते हैं,  गोपियों को गुलाल लगाने के बाद जब कृष्ण  आगे बढ़ते हैं, तो सामने उन्हें राधा दिखाई देती है, राधा को देखते ही श्री कृष्ण भाव विभोर हो जाते हैं और राधा के साथ गुलाल की जगह फूलों की होली खेलते हैं और इसी तरह लट्ठमार और फूलों की होली की परंपरा शुरू हो जाती है.

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Kyon Aur Kaise Manai Jati Hai Latthamaar Holi Aur Phoolon Ki Holi?

Devotees, you must have heard many stories of Radha and Krishna Holi, including Holi of flowers, Lathmar Holi, but very few of you would know why Lathmar Holi, or Holi of flowers is played, so today's In this video we have brought for you the story of Holi of Shri Krishna and Radha.

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It is about that time when only a few days were left for Holi, then one day early in the morning Shri Krishna leaves his house and collects all the cowherds and comes to the banks of the Yamuna and sets up a meeting, when his Friends ask what's the matter, Kanha, why did you call the meeting so early in the morning, then Kanha smilingly says that it is because there are very few days left for Holi, and we have not made any preparations yet to color the gopis and other There are gopis on the side who have made all the preparations to color us,

Lathmar Holi - Wikipedia

  That's why Kanha ji's friends tell him that Kanha! When you have told this much, then also tell what preparations have been made by the Gopis to color us? So Kanha ji says, I don't know anything special about the preparation, but the preparation has been done, I know this much, but don't you worry, tomorrow when the gopis will go to sell their butter through this route, we will surround them on the way and After hearing all the things about the preparations, all the cowherds and Krishna ji walk away smiling.

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The next day in the morning, when the gopis are going to sell butter through the same route, then Shri Krishna and the cowherds surround them and say that if you want to go through this route, you will have to pay the road tax, otherwise the gopis pay the road tax every time. Used to refuse to give, but don't know what happened this time, the gopis themselves agreed to pay the tax without saying anything, and Krishna and his companions took out butter and gave it to both, Krishna and his companions were surprised. From where the sun has risen today, the gopis who themselves agreed to give us the path without any argument, all the friends of Shri Krishna were getting scared to eat that butter, that the gopis did not find anything in the butter but gave them Knew that Shri Krishna is with them, so they have nothing to fear, but Krishna ji understands the tricks of the gopis, he understands that the gopis do not want to reveal any of their secrets, so today they gave us butter without any argument. want to get out of here quietly

While going to the Gopis, Shri Krishna asks them a very clear question that before leaving the Gopis, tell me what preparations have you made to paint us? Then Gopia says, we cannot tell you that, but we do invite you to play Holi in Barsane, Shri Krishna smilingly accepts the invitation and reaches Barsane with his cowherds on the day of Holi.

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As soon as they reach Barsana, Shri Krishna and Gwale see that Gopia is standing with a stick to welcome them, just seeing this, Gwale gets scared but Shri Krishna consoles them that don't worry, I am with you, I will not let anything happen to you. , After saying this, Shri Krishna reaches to apply gulal to the gopis with gulal in his hands, and to avoid them, the gopis shower sticks on them out of love, but Shri Krishna and the cowherds avoid the rain of sticks and apply gulal to the gopis. After applying gulal to the Gopis, when Krishna moves forward, he sees Radha in front of him, Shri Krishna gets emotional on seeing Radha and plays Holi with flowers instead of gulal with Radha, and in the same way, Lathmar and The tradition of Holi of flowers begins.

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और भी मनमोहक भजन, आरती, वंदना, चालीसा, स्तुति :-

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