क्यों बनी मां लक्ष्मी नौकरानी (Kyun Bani Maa Laxmi Naukrani) - The Lekh


बैकुण्ड धाम में बड़ा ही मनोरम दृश्य था 
माता लक्ष्मी प्रभु नारायण के साथ शेषनाग पर विराजमान थी
और अलग अलग लोको की चर्चा कर रहे थे,
तभी वहां नारद मुनि आतें हैं और कहते हैं

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नारद == नारायण नारायण, प्रभु नारायण और माता लक्ष्मी को मेरा प्रमाण

लक्ष्मी== नारायण साथ में,,, नारद मुनि को आशीर्वाद देते हैं, और बैकुंठ लोक आने का कारण पूछते हैं कि

नारायण== नारद मुनि आप यहाँ ? बिना कोई सूचना दिए कोई आवश्यक कार्य ?

नारद== नारायण नारायण, प्रभु मैं तो बस यहाँ से गुजर रहा था तो सोचा आपके और माता के दर्शन करते चलु,इसलिए आ गया प्रभु,किंतु आप दोनों कुछ चिंतित दिखाई दे रहें हैं? कोई आपदा आन पड़ी है क्या प्रभु ??? 

नारायण== नहीं नहीं नारद मुनि हम तो बस तीनों लोकों की लीलाओं को देख रहें थे, तभी देवी लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक पर जाने की इक्षा जताई है,

नारद == तो इसमें समस्या क्या है प्रभु, माता लक्ष्मी के बहाने आप भी भूलोक की यात्रा कर आएंगे, मेरी मानिए तो यात्रा कर ही आइए प्रभु

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देवर्षी नारद और माता लक्ष्मी के कहने पर प्रभु नारायण माता लक्ष्मी के साथ भूलोक की यात्रा पर निकल जाते हैं किंतु यात्रा करने से पूर्व प्रभु नारायण माता लक्ष्मी को कहते हैं कि

नारायण == देवी चाहे कुछ भी हो जाए आप भूलोक पर किसी भी मानव की सहायता नहीं करेंगे क्योंकि वह अपने पिछले जन्म के कर्मों के हिसाब से इस जन्म में सुख या दुख भोग रहे हैं यह सब विधि का विधान है इसलिए चाहे जो हो जाए आप किसी की भी सहायता नहीं करेंगे

देवी लक्ष्मी प्रभु नारायण की शर्त को मान लेते हैं और भूलोक की यात्रा पर निकल जाते हैं भूलोक की यात्रा के दौरान देवी लक्ष्मी तरह-तरह के पहाड़ झरने फूल पक्षी और जानवर देखकर अति प्रसन्न होती हैं, देवी लक्ष्मी को भूल लोक पर कुछ समय और बिताने का मन करता है जिसके लिए वह प्रभु नारायण से कहती है कि

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लक्ष्मी== प्रभु मुझे भूलोक पर कुछ समय और व्यतीत करना है क्या मैं यहां कुछ समय के लिए और रह सकती हूं इस पर प्रभु नारायण देवी लक्ष्मी को उत्तर देते हुए कहते है

नारायण== ठीक है देवी आप फूलों पर कुछ समय और व्यतीत कर सकते हैं किंतु मुझे दिए वचन को याद रखिएगा और किसी भी मानव की सहायता मत कीजिएगा,,,

 इतना कहते ही प्रभु नारायण अंतर्ध्यान हो जाते हैं और देवी लक्ष्मी भूलोक की यात्रा पुनः प्रारंभ कर देती है,,,

तभी देवी लक्ष्मी नीचे पृथ्वी पर दिखती है कि एक बड़ा ही गरीब आदमी एक पेड़ के नीचे बैठा होता है और कुछ मटके और मिट्टी से बने बर्तन बेचने की कोशिश कर रहा होता है 
गरीबी के चलते उस आदमी की आंखें धसी होती है छाती की हड्डी बाहर झांक रहे होती है पेट और पीठ एक समान हुए पड़े होते हैं पर शरीर पर एक मेला फटा पुराना बनियान पहले होता है,,, वह आदमी पेड़ के नीचे अकेले नहीं होता बल्कि उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे भी उसी सेल के पास अपने पिता की सहायता कर रहे होते हैं लेकिन कोई भी आदमी उनसे कुछ भी सामान नहीं खरीदता है

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सुबह से शाम हो जाती है और उनका एक भी बर्तन नहीं दिखता है जिसके चलते बच्चे भूखे रह जाते हैं और भूख से रोना शुरू कर देते हैं देवी लक्ष्मी से यह सब देखा नहीं जाता है और वह पृथ्वी पर उतर कर एक साधारण स्त्री का रूप लेकर उस गरीब आदमी के पास जाती है और कहती है

लक्ष्मी == भैया यह मटका कितने का दिया

गरीब आदमी== ₹10 में मालकिन

देवी लक्ष्मी== ठीक है दो मटके दे दो

मटका खरीदने के बदले में देवी लक्ष्मी उस गरीब आदमी को कुछ सिक्के देती है जिसे वह गरीब आदमी एक मटके में रख लेता है और अपने घर चला जाता है और अपने बच्चों के लिए कुछ भोजन लाता है और साथ बैठकर रूखा सूखा भोजन करता है

देवी लक्ष्मी उन बच्चों को खाते देख प्रसन्न हो रही होती है तभी वहां भगवान नारायण प्रकट होते हैं और कहते हैं कि

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नारायण== देवी अपने विधि के विधान को बदला है और मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है इसलिए अब आपको दंड भुगतना ही होगा

देवी लक्ष्मी== प्रभु मुझसे भूल हो गई कृपया मुझे क्षमा करें

लेकिन प्रभु नारायण कहते हैं== देवी आपने विधि के विधान को बदला है आपको दंड भुगतना ही होगा,,,

तब देवी लक्ष्मी उदास मन से कहते हैं ठीक है प्रभु जैसी आपकी इच्छा लेकिन दंड स्वरूप मुझे करना क्या होगा

इस पर प्रभु नारायण कहते हैं देवी आपको 3 वर्षों तक किसी गरीब के घर में नौकरानी बनकर रहना होगा,,, देवी लक्ष्मी इस दंड को भुगतने के लिए तैयार हो जाती है और अगले ही क्षण वह एक गरीब उसे छोटी बच्ची का वेश बनाकर उसके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो जाती है 

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तभी वह गरीब आदमी माता लक्ष्मी को देखता है और कहता है

गरीब आदमी == कौन हो तुम और इतनी रात को यहां क्या कर रही हो??

लक्ष्मी ==  मेरा नाम लक्ष्मी है और मेरा दुनिया में कोई नहीं क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं बदले में मैं आपके घर का सारा काम कर दिया करूंगी

यह सुनकर वह गरीब आदमी कुछ पल सोचता है और कहता है 
गरीब आदमी == देखो बिटिया हम धनी तो नहीं हैं लेकिन जो रुखा सुखा हम खाते हैं वह तुम्हें भी खिला सकते हैं तो तुम चाहो तो यहां जिंदगी भर रह सकती हो

इतना कहते ही वह गरीब आदमी माता लक्ष्मी को अंदर ले जाता है और खाने के लिए देता है 

अगले ही दिन से माता लक्ष्मी गरीब आदमी के सभी कामों में हाथ बढ़ाना शुरू कर देती है माता लक्ष्मी उसके साथ बैठकर मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने शुरू कर देती हैं,,,

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लक्ष्मी के बनाए मिट्टी के बर्तन किसी संगमरमर से कम नहीं लग रहे थे साथ ही लक्ष्मी ज्योति मूर्तियां बनाती थी वह ऐसी लगती थी जैसे वो अभी बोल पड़ेगी इसलिए धीरे-धीरे गरीब आदमी की सभी मिट्टी की बनी बर्तन और मूर्तियां बिक्री शुरू हो गई और कुछ ही समय बाद वह गरीब आदमी धनवान होने लगा और कुछ समय बाद अपने एरिया का सेठ बन गया

तभी 1 दिन उस आदमी और उसके बच्चों ने यह फैसला किया कि उनकी जिंदगी में यह बदलाव लक्ष्मी के आने के बाद ही हुआ है इसलिए वह लक्ष्मी के लिए ढेर सारे गहने कपड़े और मिठाई लेकर उसके कमरे में गए लेकिन कमरे में जाते हैं उन्होंने देखा कि कमरा तो खाली पड़ा हुआ है

अभी वह सब लक्ष्मी को आवाज देना शुरू करते हैं 
गरीब आदमी == लक्ष्मी तुम कहाँ हो 
उसके बच्चे == लक्ष्मी तुम कहाँ हो 

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और देखते हैं कुछ ही पल बाद एक दिव्य रोशनी से मां लक्ष्मी साक्षात प्रकट होती है जिसे देखते ही वह आदमी समझ जाता है कि यही वह लक्ष्मी है जो बीते 3 वर्षों से उसके यहां नौकरानी बन कर रह रही थी

यह देखते ही वह आदमी माता लक्ष्मी के चरणों में गिर जाता है और उसे क्षमा याचना करता है

गरीब आदमी== मां मुझे क्षमा कर दीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं और आपसे मैंने मजदूरी करवाई

लक्ष्मी == कोई बात नहीं पुत्र इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है,,, यह सब तो विधि का विधान है

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माता लक्ष्मी को साक्षात देखने के बाद आदमी और उसके बच्चे माता लक्ष्मी को प्रणाम करते हैं और उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं इस पर देवी लक्ष्मी उन्हें सदा धनवान रहने का आशीर्वाद देकर वहां से बैकुंठ धाम की ओर निकल पड़ती है,,,

Why mother Lakshmi became maid

There was a very beautiful view in Baikund Dham
Mata Lakshmi was sitting on Sheshnag with Lord Narayan.
and were discussing different realms,
Only then Narad Muni comes there and says

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Narad == Narayan Narayan, my proof to Lord Narayan and Mother Lakshmi

Lakshmi == Narayan together,,, blesses Narad Muni, and asks the reason for coming to Vaikuntha Lok.

Narayan == Narad Muni are you here? Any necessary work without giving any notice?

Narad == Narayan Narayan, Lord, I was just passing by here, so I thought to visit you and mother, that's why I have come Lord, but both of you are looking worried? Is there any disaster, Lord???

Narayan == no no Narad Muni, we were just watching the pastimes of the three worlds, that's why Goddess Lakshmi has expressed her desire to go to the earth.

Narad == So what is the problem in this Lord, on the pretext of Mother Lakshmi, you will also come on a journey to Bhulok, if you believe me then come on a journey Lord

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At the behest of Devarshi Narad and Mata Lakshmi, Lord Narayan goes on a journey to Bhulok with Mata Lakshmi, but before traveling, Lord Narayan tells Mata Lakshmi that

Narayan == Devi no matter what happens you will not help any human being on earth because he is suffering or suffering in this birth according to his previous birth deeds this is all law of law so whatever happens you won't help anyone.

Goddess Lakshmi accepts the condition of Lord Narayan and goes on a journey to Bhulok. During the journey to Bhulok, Goddess Lakshmi is very happy to see different types of mountains, waterfalls, flowers, birds and animals. wants to spend, for which she tells Lord Narayan that

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Lakshmi == Prabhu, I want to spend some more time on Bhulok, can I stay here for some more time, on this, Prabhu Narayan says while answering Devi Lakshmi

Narayan == Ok Devi you can spend some more time on flowers but remember the promise given to me and don't help any human,,,

By saying this, Lord Narayan disappears and Goddess Lakshmi resumes her journey to Bhulok.

Then Goddess Lakshmi looks down on the earth that a very poor man is sitting under a tree and is trying to sell some pots and utensils made of clay.
Due to poverty, that man's eyes are sunken, the chest bone is peeping out, the stomach and back are lying evenly, but a fair torn old vest is first on the body,,, That man is not alone under the tree but His three small children are also helping their father near the same cell, but no one buys anything from them.

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It turns from morning to evening and they do not see a single utensil due to which the children remain hungry and start crying from hunger. Goddess Lakshmi does not see all this and she descends to earth and takes the form of an ordinary woman. goes to the poor man and says

Lakshmi == Brother, how much did this pot cost?

poor man == mistress in ₹10

Goddess Lakshmi == okay give me two pots

In exchange for buying a pot, Goddess Lakshmi gives some coins to the poor man, which the poor man keeps in a pot and goes to his home and brings some food for his children and sits together and eats dry food.

Goddess Lakshmi is pleased to see those children eating, then Lord Narayan appears there and says that

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Narayan == Devi has changed her law and has violated my order, so now you will have to face the punishment.

Goddess Lakshmi == Lord I made a mistake please forgive me

But Prabhu Narayan says == Devi you have changed the rule of law, you will have to face the punishment.

Then Goddess Lakshmi says with a sad heart, it is okay, Lord, as you wish, but what will I have to do as a punishment?

On this Lord Narayan says Devi you will have to live as a maid in a poor man's house for 3 years,,, Goddess Lakshmi gets ready to face this punishment and the very next moment a poor girl disguises her as a little girl and brings her to his door. standing on

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Then that poor man looks at Goddess Lakshmi and says

Poor man == who are you and what are you doing here so late at night??

Lakshmi == My name is Lakshmi and I have no one in the world, can you give me something to eat, in return I will do all the work in your house

Hearing this the poor man thinks for a moment and says
Poor man == Look daughter, we are not rich, but the dry food we eat can feed you too, so if you want, you can live here for whole life.

As soon as he says this, the poor man takes Goddess Lakshmi inside and gives her food.

From the very next day, Mata Lakshmi starts extending her hand in all the works of the poor man, Mata Lakshmi sits with him and starts making earthen pots and lamps.

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Earthen utensils made by Lakshmi looked no less than marble, as well as Lakshmi used to make Jyoti idols, she looked as if she would speak now, so slowly all the pottery and idols made of poor man started selling and some Soon that poor man started getting rich and after some time he became the leader of his area.

Then one day that man and his children decided that this change in their life has happened only after the arrival of Lakshmi.

So he went to Lakshmi's room with lots of jewelry, clothes and sweets, but when he went to the room, he saw that the room was empty.

Now they all start calling Lakshmi
poor man == lakshmi where are you
her children == lakshmi where are you

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And see, after a few moments, mother Lakshmi appears in a divine light, on seeing which the man understands that this is the same Lakshmi who was living as a maidservant at his place for the last 3 years.

Seeing this, the man falls at the feet of Goddess Lakshmi and apologizes to her.

Poor man == mother forgive me I didn't recognize you and I got you to work

Lakshmi == No problem son, it is not your fault

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After seeing Mata Lakshmi in person, the man and his children bow down to Mata Lakshmi and wish for her blessings, on this Goddess Lakshmi blesses them to be always wealthy and leaves from there towards Baikunth Dham,,,

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Singer - The Lekh