आओ भक्तो तुम्हे सुनाये-आओ आओ भक्तो महिमा गाये
महिमा मंगलवार की - पवन पुत्र हनुमान की
पवन पुत्र बजरंग बली श्री राम के संवदार की
श्री राम के संवदार की-आओ भक्तो --------
कोरस :-हनुमत वीर महान के
1
सातों दिन है पवन लेकिन,मंगल अति शुभ कारी है
विघन विनाशक कष्ट निवारक,मंगल दिन मंगल कारी है
मंगल दिन है हनुमान का, हनुमान सर्वोत्तम है
जिनके ह्रदय मे छड़ प्रतिछाण
मर्यादा परुषोत्तम है
2
हनुमान को शरण जो आता,मंगल मय हो जाता है
कष्ट कलेश मिठे जीवन का,सुख वैभव वो पाता है
मंगल मय हनुमान की तुमको,पवन कथा सुनाता है
हनुमान के सरल ह्रदय का,उत्तम रूप दिखाता है
3
दिल्ली मे एक धाम है पावन,वीर बली हनुमान का
कष्ट निवारण करते हनुमत,वहां पे हर इंसान का
सिद्ध पीठ है हनुमान की सिद्ध बली कहलाते है
वहां पे हर आने वालो के,कष्ट सभी मिट जाते है
4
मरघट वाले बाबा जी का किस्सा एक सुनता हूँ
भक्त एक था बाबा जी,उसके घर लेजाता हूँ
बजरंगी का नाम भक्त का,दिल का भोला भाला था
बजरंग बजरंग बली की,सेवा करने वाला था
5
मंगल वार का व्रत रखता था,प्रीत दिन मंदिर जाता था
भक्ति मे डूबा रहता था,भजन कीर्तन गाता था
छोटा सा परिवार था उसका,पत्नी पुत्र और माता
था अपने परिवार से या फिर, मरघट वाले से नाता था
6
बजरंगी का बलक भक्ती, सारे घट का तारा था
सबके दिल की धड़कन था वो सबका राज उलाश था
उमर अभी की बाली उसकी,वो स्कुल मे पढ़ता था
घर मे वो अक्सर ही अपनी,दादी के संग रहता था
7
बेटे का था नाम राम,पत्नी का राजकुमारी था
पत्नी देखती घर की काम की,उसका पति पुजारी था
बेटा पढ़ने मे आगे था,अच्छे नंबर लाता था
घर मे भी पढ़ता रहता था,कहे ना आता जाता था
8
बजरंग प्रति दिन प्रातः,यमुना स्नान को जाता था
करके वो स्नान नियम से, प्रति दिन मंदिर जाता था
छुट्टी थी स्कूल मे एकदिन,कही बड़ा त्यौहार था
हनुमान जी का दिन था वो उस दिन मंगलवार था
9
यमुना जी मे डुबकी लगाने, बजरंगी संग राम गया
प्रातः काल पिता के संग मे,करने वो स्नान गया
दोनों उतर गये यमुना मे,दोनों साथ नहाने लगे
यमुना जी के पवन जल मे,दोनों डुबकी लगाने लगे
10
तेज धार थी यमुना जी की,बहुत अधिक गहराई थी
फिसल गया था पाव राम का, मिटटी में चिकनयी थी
बजरंगी कुछ समझ ना पाया,इब गया बेटा उसका
आगे बढ़ा बचाने लेकिन, छूट गया बेटा उसका
11
राम राम कहके चिल्लाये,यमुना के तट बजरंगी
कोई नहीं था आस पास में ,किसे बुलाये बजरंगी
छाती पिटे माया फोड़े,हालत हो गयी पागल सी
रो रो अंशु सुख गये,अंधी हो गयी काजल सी
12
करुणा पुकारे बजरंगी की,मंदिर से आ टकराई
करुणा गयी मरघट बाबा की,देखो भक्तो करुणा है
करुणा गयी बजरंग बली का, चमत्कार दिखलाते है
भेष बनाके मलाही का,यमुना के तट आते है
13
मलाही के भेष में बाबा,नाव चलाते आते है
बजरंगी को रोते देखके, तुंरत उतर के आते है
पूछ रहे है बजरंगी से,क्या हुआ क्यों तुम रोते हो
यमुना मइया बह रही फिर क्यों,आंसुओ से मुँह धोते हो
14
मारे दहाड़े छाती पीटे, बजरंगी कुछ बोले ना
रोता जाये रोता जाये,भेद वो मन के खोले ना
मल्हा बने बोले बाबा,रोने का कारण बोला
बहते आंसुओ से मुँह अपना,धोने का कारण बोला
15
मललहे के कांधे पे सिर,रखके रोया बजरंगी
मेरा राम डुबके मर गया,कहके रोया बजरंगी
मललहा यूँ बोला हँसके राम को कौन डुबाएगा
पत्थर तेरे राम नाम के,राम को कोण दबायेगा
16
बाबा रूपी मललहा वो,कूद गया फिर यमुना में
पल की लगाये देर नहीं थी,कूद गया वो यमुना में
बड़ी देर तक डूबा रहा ना मललहा बाहर आया
सोच सोच फिर अनहोनी के बजरंगी था घबराया
17
कुछ पल के पश्चात राम की, लेकर निकला मललहा
कंधे ऊपर उसे उठाकर,बाहर लाकर उसे लिटाया
धड़कन बंद हो गयी थी,प्राणहिन हो गया था बालक
धड़कन बंद हो गयी थी
18
मेरे देव अपने बेटे को,बजरंगी चिल्ल्ता है
क्यों लाया मैं साथ राम को बजरंगी पछताता है
अगर बचा ना मेरा बेटा,कसम है मरघट वाले की
प्राण त्याग दूंगा मैं अपने,कसम है मरघट वाले की
19
मरघट वाला खड़ा सामने,भेष धार मललहे का
देख रहा वो नब्ज राम की भेष धार मललहा का
प्राण हीन हो चुका राम था मललहे ने जान लिया
बजरंगी ने लाल को अपने मरा हुआ ही मान लिया
20
प्रश्न खड़ा था राम नाम का मरघट वाले के आगे
बजरंगी चला प्राण त्यागने,मरघट वाले के आगे
करुणा मयी हनुमान के होते,भक्त हार जाता कैसे
राम और हनुमान के होते भक्त घर जाता कैसे
21
मरघट वाले बाबा जी ने,चमत्कार दिखलाया है
बजरंगी के बेटे को फिर,हाथ में तुरंत उठाया है
पलट के बजरंगी के लाल की,उसकी पीठ दबाते है
निकलते पानी उसके पैर का चमत्कार दिखलाते है
22
बजरंगी बहार खड़ा था,मरघट वाले से आगे
नीचे उसका लाल पड़ा था,मरघट वाले के आगे
चल गयी धड़कन खुल गयी आंखे
धीरे धीरे राम की,बोलो मरघट वाले की जय
बोलो जय श्री राम की
23
उठके बैठ गया वो बेटा, डूबा था हैरानी में
बोला मैं तो डूब गया था यमुना जी के पानी में
बजरंगी ने गले लगा के,बेटे को बतलाया है
बन करके भगवान आगये,इन्होने तुझे बचाया है
24
पिता पुत्र उस मललह के,दोनों पांव चूमते है
नाम आपका क्या है यहीं बारम्बार पूछता है
मरघट वाला हास्के बोला,तुझको तो मैं जानता हूँ
भक्त हो तुम मरघट वाले के भली भांति पहचानता हूँ
25
पिता पुत्र दोनों फिर वापस, लौट के घर को आते है
जिन्हे भरोसा है बाबा पर,बाबा साथ निभाते है
लिखी कथा सुखदेवब ने भक्ति ------गाते है
लिखने में जो हुयी हो गलती कर जोड़ के शीश नवाते है
Singer - Avinash Karn