मोक्षदा एकादशी कथा - Traditional


M:-        स्वर्ग दायनी मोक्ष दायनी की महिमा गाता हूँ 
मै तो महिमा गाता हूँ 
सुनो मोक्षदा एकादशी की महिमा गाता हूँ 
मै कथा सुनाता हूँ 
 कैसे मिलेगी नरक से मुक्ति भक्तो ये समझाता हूँ 
मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
भव भव से मिले निदान हो जायेगा कल्याण 
1
M:-        मोक्ष दायनी एकादशी की महिमा है पावन 
दामोदर भगवान की पूजा बड़ी ही मन भावन 
कोरस :-     पूजा बड़ी ही मन भावन 
M:-        कथा बड़ी ही प्राचीन है ये गोकुल नगर  की बात 
नाम था वैखानस  राजा का सोया था एक रात 
कोरस :-     राजा का सोया था एक रात 
M:-        अर्ध रात्रि पश्चात वो राजा स्वपन देखता है 
वैखानस का पिता नर्क में कष्ट भोगता है 
कोरस :-     नर्क में कष्ट भोगता है 
M:-        दीन हीन थी दशा पिता की पांव में थे छाले 
लेकर कोड़ा हाथ खड़े  थे यम दूत वहां काले 
कोरस :-     खड़े  थे यम दूत वहां काले 
M:-        टूटी निंद्रा राजा की क्या हुआ बताता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
भव भव से मिले निदान हो जायेगा कल्याण 
2
M:-        ज्ञानी  ध्यानी वेद शास्त्री को बुलवाता है 
राजा अपने स्वपन की सबको बात बताता है 
वेद शास्त्रियों से वो बोला जोड़ के दोनों हाथ 
पिता हमारे नर्क भोग रहे यहाँ करूँ मै राज 
कोई उपाए बताओ पिता का हो जाए उद्धार 
रहे नरक में  पिता जो मेरे मुझको है धिक्कार 
ग्यानी ध्यानी महा पुरोहित कुछ तो करो उपाए 
नरक भोगते पिता को  मेरे छुटकारा मिल जाए 
राजा से जो बोले ब्रह्मण वो बतलाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
3
पर्वत ऋषि के आश्रम जाओ हे राजन तत्काल 
जो भी देखा स्वप्न आपने कहो उन्हें सब हाल 
पर्वत ऋषि ही कर सकते है सारा कष्ट निदान 
उनके शरण चले जाओ तुम कर देंगे कल्याण 
करी तनिक ना देर ऋषि के आश्रम जाता है 
कर के दंडवत राजा ऋषि को शीश झुकाता है 
कर के विनय फिर बोला राजा सुनो पूज्य ऋषि राज 
पिता हमारे नर्क भोगते वहां यहाँ करू मै राज 
मुक्ति दिलाओ पिता को ऋषिवर शीश झुकाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
4
यम दूतो से दंड पा रहे पिता मेरे दिन रात 
देखा मैंने स्वप्न में जब से लगा बड़ा आघात 
जप तप से या योग से अपने कुछ तो करो उपाए 
जिसे यमदुतो से पिता को छुटकारा मिल जाए 
आया हूँ हे ऋषि राज मै ले कर के ये आस 
मुक्ति उन्हें दिला दोगे ये मुझको है विश्वास 
आंखे मूंद के ऋषिराज फिर करने लगे विचार 
हाथ जोड़ के राजा बैठा चरणों में सिर डार  
ऋषि राज बोले राजा से मै समझाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
5
धर्म करम की राह है लम्बी हो जाएगी देर 
मुक्ति शीघ्र दिलानी है तो शिव की माला फेर 
शिव को मनाने वाली राजन राह नहीं आसान 
शिव होंगे प्रसन्न अगर कर देंगे कष्ट निदान 
कर के नम्र निवेदन राजा जोड़ के दोनों हाथ 
पर्वत ऋषि से कहता है वो अपने मन की बात 
शीघ्र असर जो  करे मुनि जी लगे ना जिसमे देर 
ऐसा कोई जतन बताओ पुजू सांझ सवेर 
क्या बोले फिर ऋषि देव तुमको बतलाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
6
पर्वत ऋषि ने कहा हे राजन सुनो लगा के ध्यान 
ऐसी युक्ति बतलाओ जो कर दे तुरत निदान 
व्रत मोक्षदा एकादशी का करो सकल परिवार 
अति शीघ्र फलदायक है ये विदित सकल संसार 
करो संकल्प पिता को  अपने व्रत का फल 
कष्ट और संताप पिता के तत्क्षण जाए टल 
अति शीघ्र ही फल देती है मोक्षदा एकादशी 
जन्म जन्म के कट जाते है दुःख संताप सभी 
करता है अब क्या वो राजा मै समझाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
7
राजा ऋषि के आश्रम से फिर महल में  आता है 
अपने सारे कुटुंब को  मन को बात बताता है 
एकादशी के नियम का फिर वो पालन करते है 
फिर पंडित बुलवा  कर के उद्यापन  करते है 
व्रत का फल वो पिता को फिर संकल्प कराता है 
नर्क भोगते उसके पिता को फल मिल जाता है 
नर्क से मुक्ति मिल जाती है स्वर्ग को जाता है 
मोक्षदा एकादशी का व्रत वो असर दिखाता है 
मोक्षदा एकादशी का फल सबको समझाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 

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