संदेह की स्याही से संबंध के पृष्ठ पर (sandeh ki syaahi se sambandh ke prishth par) - कृष्ण वाणी
GaanaGao2 year ago 26379अगर युद्ध से पहले डर जाओगे
तो मरने से पहले ही मर जाओगे !
मन अशांत है, और नियंत्रित करना कठिन है,
किन्तु प्रयास करने से इसे शांत किया जा सकता है!
जो मान और सम्मान में सम है
मित्र और बेरी के पक्ष में भी सम है
वह पुरुष गुणातीत कहा जाता है !
जिंदगी में हमारी समस्याओं
का समाधान है सही ज्ञान का होना!
हमारे भविष्य का आधार आज के यथार्थ
लिए गए निर्णय पर निर्भर करता है..!!
इंसान की सोच ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है
वरना दुनिया में एक नाम के अनेक इंसान है..!!
धर्म से भरा ह्रदय धर्म का परामर्श देता है
और अधर्म से भरा ह्रदय
अधर्म का परामर्श देता है..!!
प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है
और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है..!!
परिवर्तन जरूरी है इसीलिए जो गया
वह सपना है और जो पास है
वह अपना है..!!
निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है परंतु मर्यादा
मनुष्य का मन खुद निर्माण करता है !
राधे राधे बोलकर
हर लेते हो सबकी पीड़ा
शायद इसीलिए तेरे प्रेम में
दीवानी हुई मीरा!
इंसान इसलिए दुखी नहीं है कि
वह ईश्वर को नहीं मानता
इंसान इसलिए दुखी है क्योंकि
वह ईश्वर की नहीं मानता..!!
जिसमें प्रेम हो वह हर रिश्ता एक बंधन है
वरना यूं ही नहीं राधे के साथ देवकी नंदन है..!!
रिश्तो में अपेक्षा ही कमजोर बनाती है
अपेक्षा तो स्वयं मस्तिष्क में जन्म लेती है..!!
व्यक्तित्व को बदलने से
मन का विकार नहीं निकलता
इसलिए यदि कुछ बदलना है तो
कर्म बदलो विचार बदलो ..!!
संदेह की स्याही से संबंध के पृष्ठ पर
कभी शुभ अंकित नहीं होता इसलिए
अपने मन के विचार और संबंधों का आधार
दोनों ही शुभ रखें..!!
गति के लिए चरणों पर
ध्यान देना आवश्यक है
किंतु प्रगति के लिए
सदैव आचरण पर ही ध्यान देना चाहिए..!!
Singer - कृष्ण वाणी