Nag Panchami Katha जानें क्यों मनाते हैं नागपंचमी का त्योहार, क्या है इसकी कथा | - Bhajan Sangrah


सावन का महीना भगवान शिव का अत्यधिक प्रिय महीना होता है। इस महीने में भोलेनाथ के गले में सुशोभित नाग देवता की पूजा का भी विशेष महत्व है।

सावन के महीने में सावन की शिवरात्रि समेत कई अन्य पर्व मनाए जाते हैं। श्रावण मास में मनाए जाने वाले इन्हीं त्योहारों में से एक नाग पंचमी भी है जिस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है।

 

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में नाग पंचमी का पर्व बहुत महत्व रखता है ऐसा माना जाता है कि नागपंचमी की तिथि पर नाग देवता की पूजा करने तथा दूध पिलाने से व्यक्ति को जीवन में काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

 

अगर आप भी कालसर्प दोष और अन्य बाधाओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए तथा नाग पंचमी पर काल सर्प दोष मिटाने के उपाय करने चाहिए।

 

इस साल 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर हमें नाग पंचमी से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारियां जरूर होनी चाहिए।

 

तो चलिए आज के इस लेख में हम आपको नाग पंचमी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हैं। इसके अलावा इस लेख के माध्यम से हम आपको नाग पंचमी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी से अवगत करवाएंगे, इसीलिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

 

आइये जानें-

 

नाग पंचमी नाग देवता का त्यौहार होता है। नाग देवता भोलेनाथ के गले में सुसज्जित होते हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने की परंपरा है। माना जाता है कि पूजा करने से सर्प दंश का डर भी दूर होता है और साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।

 

नाग पंचमी का दिन साल का वह दिन होता है जब नाग देवता की पूजा की जाती है। भारतीय संस्कृति में नाग देवता का बहुत विशेष महत्व है। भगवान विष्णु का निवास शेषनाग पर ही माना जाता है तथा भगवान शिव के गले में भी नाग देवता का निवास होता है।

 

हिंदू धर्म की ऐसी मान्यताएं हैं कि हमारी पृथ्वी भी शेष नाग देवता के फन पर टिकी हुई है जिनका अवतार त्रेता युग में लक्ष्मण तथा द्वापर में बलराम को माना जाता है।

 

पौराणिक मान्यताओं के चलते भारतीय संस्कृति में नाग पंचमी का विशेष महत्व हो जाता है तथा नाग देवता को अपना इष्ट मान कर विधि-विधान पूर्वक उनकी पूजा की जाती है

 

 

नाग पंचमी कब मनाई जाती है?

हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के तौर पर मनाया जाता है तथा नाग देवता की पूजा की जाती है। भारत में पशु पक्षियों की पूजा का विधान बहुत पहले से है।

 

प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति में पेड़-पौधों पशु-पक्षियों को पूजा जाता रहा है। नाग पंचमी का दिन भी हमारी इसी संस्कृति का एक ऐसा विशेष दिन है जब नाग देवता की पूजा की जाती है। वैसे तो नाग अर्थात सर्प विषैला प्राणी माना जाता है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसमें भी ईश्वर का स्वरूप निवास करता है।

 

नाग देवता बिना किसी वजह किसी को भी क्षति नहीं पहुंचाते बल्कि इनकी विधि विधान से पूजा करने पर यह राहु केतु की गलती स्थिति को ठीक करते हैं तथा कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाते हैं।

 

कालसर्प दोष की शांति के लिए नाग पंचमी का दिन बहुत विशेष होता है इस दिन कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें करने से कालसर्प दोष तथा अन्य बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

 

 

नाग पंचमी कब है 2023 तिथि और समय (Nag Panchami 2023 Date And Time In Hindi)

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

 

इस बार साल 2023 में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी 21 अगस्त 2023 को पड़ रही है। 21 अगस्त 2023 का दिन सावन के सोमवार का दिन भी है इसलिए इस बार नाग पंचमी का महत्व कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।

 

नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता को दूध एवं लावा चढ़ाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है तथा सुख समृद्धि स्वास्थ्य एवं तरक्की के नए मार्ग खुल जाते हैं।

 

नाग पंचमी 2023 का शुभ मुहूर्त –

इस बार नाग पंचमी 21 अगस्त 2023 को मनाई जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 21 अगस्त को रात्रि 12 बज कर 21 मिनट (12:21 AM) पर होगी।

 

22 अगस्त 2023 को रात्रि 2:00 AM बजे सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी अर्थात नाग पंचमी तिथि का समापन होगा।

 

ऐसे में उदया तिथि में पंचमी पड़ने के कारण सोमवार 21 अगस्त 2023 को ही नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 8 बज कर 30 मिनट तक रहेगा।

 

इस शुभ घड़ी में नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधि विधान से पूजा की जाएगी |

 

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

सावन का महीना शिव का प्रिय महीना होता है जोकि 03 जुलाई 2023 से 31 अगस्त तक है। नाग देवता भगवान शिव के गले में आभूषण की तरह हमेशा ही विराजमान रहते हैं, क्योंकि नाग देवता का संबंध शिवजी से है इसलिए सावन मे नाग पंचमी मनाई जाती है। श्रावण की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है दरहसल पंचमी तिथी का स्वामी नाग देवता को कहा गया है।

 

धाार्मिक मान्यता है नाग पंचमी के दिन सर्प पूजन कराने से कुण्डली में व्यात कालसर्प योग से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन सर्प पूजन करने से शिव भगवान एवं नाग देवता प्रसन्न हो जाते हैं घर में सुख समृद्धि का वास होता है।

 

नाग पंचमी के दिन नाग देवता की लावा दूध चढ़ाकर पूजा करने तथा व्रत रखने से केवल सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति ही नहीं होती बल्कि सुंदर स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। यह व्रत एवं पूजन करने से लोगों की संकट बढ़ाएं दूर हो जाती हैं तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी निदान मिलता है।

 

नाग पंचमी का महत्व एवं पौराणिक कथाएं

ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की विधि विधान व श्रद्धा भाव से पूजा करने से मनवांछित फल मिलते हैं और यदि इस दिन किसी को नागों के दर्शन हो जाते हैं तो यह बहुत शुभकारी माना जाता है। नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक ग्रंथो एवं वेदों (चरक संहिता, गरुण पुराण, शिव पुराण) में नाग पंचमी के महत्व का विस्तार से बताया है।

 

नाग पंचमी मनाने का पौराणिक महत्व कुछ इस प्रकार से है:-

 

1. समुद्र मंथन में वासुकी नाग देवता का योगदान

नाग देवता का आभार प्रकट करने के लिए भी नाग पंचमी मनाई जाती है, क्योंकि समुद्र मंथन के वक्त वासुकी नाग ने ही देवताओं की मदद की थी।

 

2. शेषनाग है विष्णु भगवान की शैया

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु अपनी शेषनाग की शैया पर पंचमी के दिन ही विराजित हुये थे। इसी दिन शेषनाग की शैया विष्णु जी ने विश्राम किया था।

 

3. वासुदेव और शेषनाग का संबंध

भगवान श्री कृष्ण के जन्म पर, तेज़ आंधी तूफान के मौसम में, उफनती नदी को पार करवाने के लिए शेषनाग ने ही वासुदेव जी की मदद की थी।

 

4. शेषनाग के फन पर टिकी है धरती

ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है और उस शेषनाग के शैया पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं।

 

5. जन्मजेय का नाग से बदला

जन्मजेय के पिता को तक्षक सांप ने मार डाला था इसीलिए अर्जुन के पोते जन्मजेय ने नागो से बदला लेने की ठानी और नाग के कुल को समाप्त करने के लिए नाग यज्ञ की व्यवस्था की। तब आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रोककर नागो की रक्षा का आग्रह किया और तक्षक नाग ने भी जन्मजेय से माफी मांगी। इससे जन्मजेय का क्रोध शांत हुआ। यह सब घटना सावन महीने के शुक्ल पंचमी के दिन में घटित हुई। इसीलिए सांप के बचाव में इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

 

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है? महत्व एवं कारण

नाग पंचमी मनाने के अन्य निम्न कारण है:-

 

कालसर्प दोष से मुक्ति

ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी पर की जाने वाली पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि भोलेनाथ सदैव अपने गले में वासुकी नाग को धारण किए हुए रहते हैं इसीलिए नाग पूजा करने से शिव भगवान को प्रसन्न किया जाता है।

 

सर्पदंश से भय की मुक्ति

बरसात के मौसम में सांप के बिलों में पानी भर जाता है जिसकी वजह से वह अपने स्थान को छोड़कर सुरक्षित स्थान खोजते हैं। इसीलिए भारतीय संस्कृति में सर्पदंश के भय से मुक्ति के लिए भी नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई है।

 

देश के प्रमुख नाग मंदिर

आइए, देश के कुछ प्रमुख नाग मंदिरो और उनके महत्व के बारे में जानते है:-

 

स्नेक टेंपल

स्नेक टेंपल केरल के अलप्पी जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में सांपों की हजारों प्रतिमाएं मौजूद है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। यहां पर पूजा करने से उनकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है।

 

नागचंद्रेश्वर मंदिर

यह मंदिर उज्जैन में महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है। यह मंदिर साल में केवल नाग पंचमी वाले दिन ही खुलता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर नाग देवता के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के सर्प दोष दूर हो जाते हैं।

 

प्रयागराज

प्रयागराज मे नाग पंचमी के दिन भक्तों की बहुत भीड़ लगती है। यहां पर लोग विशेष रूप से कालसर्प दोष की पूजा करवाने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

 

नाग पंचमी पूजा विधि

आइए नाग पंचमी की पूजा की पूरी विधि आपको बताते हैं –

 

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • घर के मुख्य दरवाजे पर सांप के 8 आकृतियां बनाएं।
  • चावल, फूल, रोली, हल्दी आदि चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें।
  • नाग देवता को भोग लगा कर कथा अवश्य पढ़ें।
  • पूजा के बाद नाग देवता को कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर जरूर अर्पित करें।

नाग पंचमी के दिन क्या करें?

  • नाग पंचमी में पूजा करते समय मिठाई, दूध और फूल जरूर चढ़ाएं।
  • जिन लोगों के राहु और केतु ग्रह भारी है उन्हें नाग पंचमी के दिन पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • नाग देवता को केवल तांबे के लोटे से दूध चढ़ाएं।
  • पीतल के लोटे से नाग देवता को दूध बिल्कुल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • सर्पदंश से बचने के लिए नाग पंचमी के दिन उपवास जरूर करना चाहिए।

नाग पंचमी के दिन क्या न करें?

  • किसानों को नाग पंचमी के दिन खेती नहीं करनी चाहिए।
  • पेड़ों को नहीं काटना चाहिए।
  • इस दिन सुई धागे का प्रयोग करना वर्जित होता है।
  • नाग पंचमी के दिन धार वाली और नुकीली चीजो का उपयोग नहीं करना चाहिए।

Singer - Bhajan Sangrah

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