पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) - The Lekh
GaanaGao2 year ago 341पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
अर्जुन ने कहा- ""हे जगदीश्वर! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा इस व्रत के करने से कौन से फलों की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए।""
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भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- ""हे कुंतीनंदन! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा है। इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रत करने वाला अक्षय पुण्य का भागी होता है।
इस एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इस पूजन के द्वारा मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। हे अर्जुन! जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल की प्राप्ति करते हैं, वह फल इस एकादशी के दिन क्षीर-सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु को नमस्कार कर देने से मिल जाता है और मनुष्य को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते। हे पार्थ! जो विष्णुभक्त शिवजी की निंदा करते हैं अथवा जो शिवभक्त विष्णु भगवान की निंदा करते हैं, वे नरक को जाते हैं।
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हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ का फल इस एकादशी के फल के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होता अर्थात इस एकादशी व्रत के समान संसार में अन्य कोई व्रत नहीं है।
इस एकादशी के समान विश्व में पवित्र तिथि नहीं है। जो मनुष्य एकादशी व्रत नहीं करते हैं, वे सदा पापों से घिरे रहते हैं। जो मनुष्य किसी कारणवश केवल इस एकादशी का भी उपवास करता है तो उसे यम के दर्शन नहीं होते।
इस एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य को निरोगी काया तथा सुंदर नारी और धन-धान्य की प्राप्ति होती है और अंत में वह स्वर्ग को जाता है। जो मनुष्य इस एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण करते हैं, उन्हें सहज ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
इस एकादशी के व्रत करने वाले मनुष्यों के मातृपक्ष के दस पुरुष, पितृपक्ष के दस पुरुष तथा स्त्री पक्ष के दस पुरुष, भगवान विष्णु का रूप धरकर व सुंदर आभूषणों से परिपूर्ण होकर विष्णु लोक को जाते हैं।
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जो मनुष्य आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का विधानपूर्वक उपवास करते हैं, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
जो मनुष्य एकादशी के दिन भूमि, गौ, अन्न, जल खड़ाऊं, वस्त्र, छत्र आदि का दान करते हैं, उन्हें यम के दर्शन नहीं होते।
दरिद्र मनुष्य को भी यथाशक्ति कुछ दान देकर कुछ पुण्य अवश्य ही अर्जित करना चाहिए।
जो मनुष्य तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ आदि बनवाते हैं, उन्हें नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते। वह मनुष्य इस लोक में निरोगी, दीर्घायु वाले, पुत्र तथा धन-धान्य से परिपूर्ण होकर सुख भोगते हैं तथा अंत में स्वर्ग लोक को जाते हैं। भगवान श्रीहरि की कृपा से उनकी दुर्गति नहीं होती।""
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कथा-सार
मनुष्य को पापों से बचने का दृढ़-संकल्प करना चाहिए। यूं तो भगवान विष्णु का ध्यान-स्मरण किसी भी रूप में सुखदायक और पापनाशक है, परंतु एकादशी के दिन प्रभु का स्मरण-कीर्तन सभी क्लेशों व पापों का शमन कर देता है।"
Papankusha Ekadashi Vrat Katha
Arjun said - "" Oh Jagdishwar! What is the name of Ekadashi of Shukla Paksha of Ashwin month and what fruits are obtained by observing this fast? Please say all this methodically."
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Lord Krishna said - ""O Kuntinandan! The name of Ekadashi of Shukla Paksha of Ashwin month is Papankusha. By observing this fast, all the sins are destroyed and the person observing the fast becomes a part of the inexhaustible virtue.
Lord Vishnu should be worshiped on this Ekadashi to get desired results. Through this worship man attains heaven. Hey Arjun! The man who achieves fruit through hard penance, that fruit is obtained on this Ekadashi day by paying obeisance to Lord Vishnu, who is sleeping on Sheshnag in the Kshir-Sagar and man does not have to suffer the sorrows of Yama. Hey Partha! Those devotees of Vishnu who condemn Lord Shiva or those devotees of Shiva who condemn Lord Vishnu go to hell.
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The result of thousand Ashwamedha and hundred Rajasuya Yagya is not even equal to one-sixteenth of the result of this Ekadashi, that is, there is no other fast in the world like this Ekadashi fast.
There is no holy date like this Ekadashi in the world. Those people who do not observe Ekadashi fast, they are always surrounded by sins. The person who fasts only on this Ekadashi for some reason, then he does not see Yama.
By observing the fast of this Ekadashi, a man gets healthy body and beautiful women and wealth and finally he goes to heaven. Those people who keep vigil during the fast of this Ekadashi, they easily attain heaven.
Ten men from the mother's side, ten men from the father's side and ten men from the women's side who fast on this Ekadashi go to Vishnu Lok by assuming the form of Lord Vishnu and being full of beautiful ornaments.
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Those people who observe fast on Papankusha Ekadashi of Shukla Paksha of Ashwin month, they attain Vishnu Lok.
Those people who donate land, cow, food, water pots, clothes, umbrella etc. on the day of Ekadashi, they do not see Yama.
Even a poor person must earn some virtue by giving some charity as per his capacity.
The people who make ponds, gardens, dharamshalas, pau etc., do not have to suffer the pains of hell. Those people enjoy happiness in this world by being healthy, long-lived, full of sons and wealth-grains and finally go to heaven. By the grace of Lord Shri Hari, his misery does not happen.
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Synopsis
Man should be determined to avoid sins. Although meditation and remembrance of Lord Vishnu in any form is soothing and destroyer of sins, but on the day of Ekadashi, the remembrance and kirtan of the Lord removes all troubles and sins.
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Singer - The Lekh