पावन कावर कथा - Rakesh kala


M:-    जयकार वीर बजरंगी हर हर महादेव बोलिये शंकर भगवान की जय लीजिये भक्तो फिर से भगवान शिव का अत्यंत प्रिय श्रावण मास आ गया है रिमझिम पड़ती फुहारे और शिव के प्रिय भोले भोलियो के मुख पर बोल बम बम के जयकारे शिव के भक्त अपने अपने कंधो पर पवित्र कांवरो में हरिद्वार व् गोमुख आदि से गंगाजल भर कल लाते है और पावन शिवरात्रि को शिवलिंग पर जल अर्पित कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते है भक्तो कावड़ क्यों लायी जाती है इसका क्या महत्व है और इसमें भरा गंगाजल भगवान शिव को अर्पित करने से क्या फल प्राप्त होते है वेद पुराणों में इस बाबत अनेक कथाये प्रचिलित है तो आइये इन्ही में से कुछ पवित्र कावड़ गाथाये मैं आज आपको संगीतमय रूप में सुनाने जा रहा हूँ तो एक बार फिर बड़े प्रेम से बोलिये भगवान शंकर की जय 
सुनो सावन की महिमा कावड़ लाने का महीना कावड़ लाएंगे शिव जी की किरपा पाएंगे 
रिमझिम की होगी फुहारे गूंजे बम बम के जयकारे 
हम भी गायेंगे शिवजी की किरपा पाएंगे 

पहली कथा सागर मंथन की है भक्तो देव असुर जब मिलकर सागर मथ रहे थे तब उसमे से 14 रत्नो के साथ हलाहल दिप भी नीकला जब देव असुर दोनों ही हलाहल ग्रहण जो मना करने लगे और सृष्टि के विनाश का भय सताने लगा तब भगवान भोलेनाथ ने उसे अपने कंठ में चार कर नीलकंठ का नाम प्राप्त किया परन्तु विष की जलन उन्हें सताने लगी तब भगवान विष्णु तब भगवान विष्णु ने सभी को आदेश दिया की जाओ और अपने अपने कंधो पर पवित्र गंगाजल कांवड़ों में भर भर कर लाओ और भोलेनाथ को लगातार गंगाजल अर्पित करते रहो इससे उनकी विष की जलन शांत होगी और आप सब भगवान शिव की कृपा प्राप्त करेंगे तभी से भक्तो हर श्रवण मास में शिव भक्त हरिद्वार गोमुख आदि स्थानों से पवित्र कावड़ो में गंगाजल भर कर लाते है और पावन शिवरात्रि को भगवान शिव को गंगा स्नान करवा पुण्य प्राप्त करते है 
गंगाजल शिवजी पे चढ़ाओ 
विष की जलन को शांत कराओ 
अनुपम किरपा शिव की मिलेगी 
जीवन की बगिया भी खिलेगी 
हम भी कावर भर लायेंगे शिव शंकर को नहलाएंगे 
धोक लगाएंगे शिवजी की किरपा पाएंगे 
दूजी कथा श्री हरि के अवतार परशुराम जि की है भक्तो श्रस्टी में पाप मिटाने भगवान श्री हरि विष्णु जी ने परशुराम का अवतार धरा और सृष्टि को अपने फरसे के दम पर भी मुक्त किया उनके पिता ऋषि जयदानी और माता रेणुका थी एक बार उनकी माता यज्ञ हेतु गंगाजल लेने गयी परन्तु वहां पर गंधर्वराज चित्ररथ की अप्सराओ संग रास परिहास करता देख मुग्ध हो गयी तथा समय से गंगा का जल हवन वेदी तक ना ला पायी उस पर ऋषि जयदानी ने परशुराम को आदेश दिया की वे अपनी माता का शीश काट उन्हें मृत्यु दंड दे पितृभक्त परशुराम ने आदेश का पालन करते हुए अपनी माता का वध तो कर दिया परन्तु मातृहत्या की ग्लानि से उनका ह्रदय लगातार जलने लगा इस पर महर्षि नारद ने इन्हे पूरा महादेव में जाग्रत शिवलिंग स्थापित कर उसे अपने कंधो पर गंगाजल भरी कंवर लाने और शिवलिंग को नहलाने का मार्ग सुझाया परशुराम जी ने ऐसा ही किया जिससे उनके ह्रदय की ज्वाला शांत हुई और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त की 
नंगे पाव गोमुख आये कंधे कावर धर के लाये 
बम बम के जयकारे लाये गंगाजल शिवजी को चढ़ाये 
तब ही महादेव भक्तो पावन धाम बना है भक्तो 
हम भी जायेंगे शिवजीकी किरपा पाएंगे 
अगली कावड़ कथा रावण की शिव भक्ति से संबंधित है भक्तो जी है वही पापी रावण जिसका अंत करने हेतु स्वयं श्री हरि विष्णु जी का राम के रूप में मनुज अवतार ग्रहण करना पड़ा था भले ही रावण महापापी महा आतताई था परन्तु  था परम शिव भक्त एक बार उसके मन में आयी की क्यों न भगवान शिव को प्रसन्न कर सदा सदा के लिए लंका में तो आया जाए जिससे वो युगो युगो तक अजर अमर हो हो शिव की कृपा पाता रहे यह सोच उसने शिवजी का भारी तप किया और यहाँ तक की उसने अपने दसो शीश अपने ाहतो से काट काट शिव चरणों में समर्पित कर दिए शिवजी प्रसन्न हुए दर्शन दिए और वर मांगने को कहा तो रावण ने मन की बात कह दी की वो चाहता है की आप कैलाश का त्याग कर सदा सदा के लिए लंका में स्थापित हो जाए भगवान शिव स्वयं तो कैलाश छोड़ नहीं सकते थे अतः उन्होंने उसे अपना शिवलिंग दिया और कहा इसे लंका में स्थापित कर दो इस जाग्रत लिंग के स्वरूप में मैं सदा लंका में विराजमान हो उसकी रक्षा करूंगा परन्तु ध्यान रहे यह लिंग तुम्हे पैदल लंका ले जाना होगा और मार्ग में कहि भी इसे भूमि पर नहीं रखना होगा अन्यथा यह उसी स्थान पर स्थापित हो जायेगा वही पर रावण ने पवित्र कांड में गंगाजल से शिवजी को स्नान कराया और शिव तांडव स्त्रोत की रचना की भक्तो वही आज भगवान शिव के बेजनाथ के रूप में जग प्रसिद्ध है भगवान बैजनाथ की जय जय 
कैलाश का धाम है प्यारा 
सारी सृष्टि से है न्यारा 
सावन में जल जो भी चढ़ाते 
बैजनाथ की किरपा पाते 
गाथा शिवजी की मन भावन सुनकर मन हो जाता पावन दर्शन पाएंगे 
शिवजी की किरपा पाएंगे 
तो देखा आपने भक्तो की सावन के महीने में भगवान शिव की कावड़ का क्या महत्व है आप भी जीवन में संकल्प कर ले किआप भी सावन के महीने में नंगे पाव हरिद्वार हर की पोढ़ी से पवित्र कावड़ में गंगाजल भर कर लाएंगे और शिवरात्रि के पावन दिवस उसे भगवान शिव को समर्पित कर मुक्ति का फल प्राप्त करेंगे बोलिये शंकर भगवान की जय 
इस कावर जल और बेल पत्र 
भोले शंकर को जो चढ़ाये 
आपने हाथो चंदन घिस के 
शिव को चंदन तिलक लगाए 
आओ शिव जी को नहलाये नमः शिवाय मंत्र को गाये 
किरपा पाएंगे भव में ना गोते लाएंगे 

Singer - Rakesh kala