रामायण की 3 सर्वश्रेष्ठ चौपाई (Ramayana Ki 3 Sarvshresth Chaupai) - Mr. Ramesh Sharma


रामायण की 3 सर्वश्रेष्ठ चौपाई

पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥1॥

भावार्थ- फिर मैं सरस्वती और देवनदी गंगाजी की वंदना करता हूँ। दोनों पवित्र और मनोहर चरित्र वाली हैं। एक (गंगाजी) स्नान करने और जल पीने से पापों को हरती है और दूसरी (सरस्वतीजी) गुण और यश कहने और सुनने से अज्ञान का नाश कर देती है

तृप्ति शाक्य जी का लोकप्रिय भजन: भये प्रगट कृपाला

जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥4॥
 
भावार्थ- राजा जनक की पुत्री, जगत् की माता और करुणा निधान श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री जानकीजी के दोनों चरण कमलों को मैं मनाता हूँ, जिनकी कृपा से निर्मल बुद्धि पाऊँ

सबसे लोकप्रिय भजन: राम को देखकर

पुनि मन बचन कर्म रघुनायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक॥
राजीवनयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक॥5॥

भावार्थ- फिर मैं मन, वचन और कर्म से कमलनयन, धनुष-बाणधारी, भक्तों की विपत्ति का नाश करने और उन्हें सुख देने वाले भगवान श्री रघुनाथजी के सर्व समर्थ चरण कमलों की वन्दना करता हूँ

और भी मनमोहक भजन, आरती, मंत्र, वंदना, चालीसा, स्तुति :-

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Singer - Mr. Ramesh Sharma