कोरस :- जय सूर्यदेव आ आआआआ
M:- ॐ सूर्याय नमः ॐ आदित्याय नमः ॐ भास्कराय नमः ॐ दिनकराये नमः
बोलिये सूर्य देव भगवान की
कोरस :- जय
M:-भक्तो भगवान सूर्यदेव नारायण जो प्रत्यक्ष देवता है जो नित्य प्रति पूर्व दिशा से उदित होते है और सारी सृष्टि से अंधकार मिटाते है कहते है जिस प्राणी पर भगवान सूर्यदेव की कृपा होती है वह जीवन में राज योग को प्राप्त करता है इसलिए भक्तजन हर रविवार को भगवान आदित्य नारायण का व्रत उपवास करते है सुबह उगते सूरज को जल का अर्घ्य प्रदान करते है सारा दिन उनके द्वादश नामो का उच्चारण करते है तथा सायकाल को पावन रविवार व्रत कथा के पश्चात आरती चालीसा का पठन कर उन्हें गुड़ और गेहू के बने मीठे आहार का भोग लगाते है वो व्यक्ति जीवन में समस्त सुख भोगकर अंत में भगवान सूर्य की किरणों में विलीन हो जाते है तो आइये सुनते है पावन रविवार व्रत कथा
बोलिये भगवान सूर्य नारायण की
कोरस :- जय
M:- पावन रविवार व्रत गाथा जो कोई सुनता और सुनाता
हो कल्याण जी पाता रवि से वरदान जी
कोरस :- पाता रवि से वरदान जी
M:- इनको जल का अरघ चढ़ालो द्वादश नामो को तुम गालो
ले लो नाम जी दिन कर करेंगे कल्याण जी
कोरस :- दिनकर करेंगे कल्याण जी
M:- कथा इस प्रकार से है भक्तो किसी गांव में एक बुढ़िया रहा करती थी नित्य प्रति भगवान सूर्य का पूजन आराधन करती रविवार सुबह सूर्योदय से पहले उठ कर पड़ोसन की गाय का गोबर लाती घर आंगन लीपती फिर स्नान इत्यादि कर उगते सूर्य को जल का अरघ देती दिन भर भगवान सूर्य के द्वादश नामो का उच्चारण करती सांयकाल को सूर्यदेव का पूजन आरती चालीसा का पठन करती उसके पश्चात भगवान सूर्य को गुड़ और गेहू से बने मीठे भोजन का भोग लगा स्वयं भी एक समय प्रसाद ग्रहण करती इस तरह उसका जीवन सकुशल चल रहा था और भगवान सूर्यदेव की कृपा बनी हुई थी
उगते सूर्य को अर्ग्य चढ़ती द्वादश नामो को वो गाती
आरती चालीसा पढ़ती थी गुड़ गेहू का भोग लगाती
जीवन में सब सुख था सारा हुआ राम से उसका गुजारा लेती नाम जी
करती रवि को वो प्रणाम जी
कोरस :- करती रवि को वो प्रणाम जी
पावन रविवार व्रत गाथा जो कोई सुनता और सुनाता
हो कल्याण जी पाता रवि से वरदान जी
कोरस :- पाता रवि से वरदान जी
जय सूर्यदेव आ आआआआ
M:- उधर पड़ोसन बुढ़िया का सुख देख कर मन ही मन जलती रहती है उसने सोचा की शायद ये उसकी गईया के गोबर का प्रताप है सो अगले रविवार उसने अपनी गईया को घर के भीतर बांध दिया इधर बुढ़िया सुबह गोबर लेने गयी तो देखा वहां तो गईया ही नहीं है गईया नहीं थी तो गोबर भी ना ला सकी उसका मन क्षुब्ध हो गया भक्तो उसने व्रत तो रखा पर ना ही सूर्य को अर्ग्य चढ़ाया ना ही द्वादश नामो का उच्चारण किया ना आरती चालीसा गायी और न हीं गुड़ गेहू का भोग लगाया रात को स्वप्न में जब भगवान सूर्यदेव ने बुढ़िया से प्रश्न किया तो उसने बताया की ये सब गोबर ना मिलने के परिणाम वश हुआ है सूर्यदेव ने कृपा की भक्तो अगली सुबह बुढ़िया ने अपने आंगन में कपिला गाय और उसके बछड़े को बंधा पाया बस फिर क्या था अगले रविवार कपिला ने स्वर्ण का गोबर दिया परन्तु बुढ़िया सूर्य भक्ति में इतनी लीन थी की उसने स्वर्ण के गोबर से आंगन को लीप दिया और फिर पुरे विधि विधान से सूर्यदेव का व्रत उपवास किया इस पर पड़ोसन तो और भी जल गयी अगले रविवार बुढ़िया के उठने से पहले कपिला का गोबर चुरा लायी क्या देखती है की ये गोबर तो सोने का है
सोने का गोबर जो देखा माथा उस औरत का ठनका
क्यों न राजा को बतलाऊ बुढ़िया की गईया छिनवाऊ
भेद ये राजा को बतलाया उसकी गईया को छिनवाया
किया ये काम जी बुढ़िया बड़ी थी परेशान जी
कोरस :- बुढ़िया बड़ी थी परेशान जी
M:- पावन रविवार व्रत गाथा जो कोई सुनता और सुनाता
हो कल्याण जी पाता रवि से वरदान जी
कोरस :- पाता रवि से वरदान जी
M:- पड़ोसन की शिकायत पर राजा ने बुढ़िया की कपिला गाय को छीन लिया बुढ़िया ने बहुत प्रार्थना की पर सैनिक ना माने इधर सूर्यदेव कुपित हो गए अगले रविवार कपिला ने स्वर्ण का गोबर नहीं दिया तो राजा ने पड़ोसन को कारागार में डलवा दिया इधर राजा को रात में सूर्यदेव ने स्वप्न में दर्शन दिए और सारा सत्य बताया सुबह राजा को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ उसने बुढ़िया को कपिला गाय के साथ साथ अनेको उपहार सहित उसे अपने गांव लोटा दिया और पड़ोसन को झूठ बोलने के आरोप में मृत्युदण्ड सुनाया इधर बुढ़िया फिर से रविवार व्रत पूजन करने लगी पर उसका ह्रदय तो पड़ोसन के लिए व्याकुल रहता था
राजा के वो पास में आयी दी राजा को उसने दुहाई
पड़ोसन को क्षमा दान तो दीजे इतनी किरपा राजन कीजे
राजा को दया थी आयी पड़ोसन मुक्त करवाई किया ये काम जी
राजा को करते वो प्रणाम जी
कोरस :- राजा को करते वो प्रणाम जी
M:- पावन रविवार व्रत गाथा जो कोई सुनता और सुनाता
हो कल्याण जी पाता रवि से वरदान जी
कोरस :- पाता रवि से वरदान जी
जय सूर्यदेव आ आआआआ
M:- बुढ़िया और पड़ोसन दोनों अपने गांव लोट आये पड़ोसन को अपनी भूल पर भारी पश्चाताप हुआ भक्तो और अब वो दोनों माँ और बेटी की तरह रहने लगी रविवार सूर्योदय से पहले उठती कपिला गाय के स्वर्ण के गोबर से घर आंगन लीपती फिर स्नान ध्यान कर उगते सूरज को जल का अर्घ्य चढाती दिन भर भगवान भगवान सूर्य के द्वादश नामो का उच्चारण करती सायकाल व्रत कथा सुनती और सुनाती आरती चालीसा करती और गुड़ गेहू का मीठा भोग भगवान सूर्यदेव को लगाती इस तरह वो दोनों जीवन पर्यन्त सूर्यदेव की भक्ति में लीन रहे और अंतकाल में भगवान सूर्यनारायण के प्रकाश में विलीन हो गए ऐसे ही जो प्राणी सच्ची श्रद्धा भाव और विशवास तथा पुरे विधि विधान से भगवान सूर्य के रविवार के व्रत करता है व्रत कथा सुनता है द्वादश नामो को गाता है उन्हें जल का अर्घ्य चढ़ाता है उन्हें भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है तो बोलिये भगवान सूर्य नारायण की
कोरस :- जय
M:- उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ालो चंदन का इन्हे तिलक लगालो
द्वादश नामो को फिर गालो सूर्य कृपा भक्तो तुम पालो
भव में डोलेगी ना नैया दिनकर देवा पार लगइया करते पार जी
भक्तो का करते है उद्धार जी
कोरस :- भक्तो का करते है उद्धार जी
M:- पावन रविवार व्रत गाथा जो कोई सुनता और सुनाता
हो कल्याण जी पाता रवि से वरदान जी
कोरस :- पाता रवि से वरदान जी
Singer - Rakesh Kala