साँवरिया होली खेले - Naresh Chand Khatri


दोहा :-       गली गली में बज रहे ढोल मंजीरा चंग 
                बरसने में सावरो रंग खेले राधा संग 
स्थायी :-    सावरिया सावरिया सावरिया होली खेले 
कोरस:-     सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले 
स्थायी :-     सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
कोरस :-     सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले -२
अंतरा :-     ना सखियन की दहशत खावे उल्टो ऊपर को अर रावे   
तोड़ :-     धक्का से धक्का से धक्का से दूर धकेले भर भर पिचकारी खेले 
कोरस :-     सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले 
अंतरा :-     राधा की हालत बुरी कृ चुंनरिया रंग में हरी करी
तोड़ :-     जैसे होते जैसे होते जैसे होते हरे करे ले भर भर पिचकारी खेले 
अंतरा :-     ये तीर चला के आखियो से श्री राधा जी की सखियों से 
अंतरा :-     ये तीर चला के आखियो से श्री राधा जी की सखियों पे 
तोड़ :-       रंग डारे रंग डारे रंग डारे नए नवेले भर भर पिचकारी खेले 
कोरस :-     सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले -२
अंतरा :-     कहे खत्री राज अनाड़ी से चाला की और हुई यारी से 
तोड़ :-      लट्ठों का लट्ठों का लट्ठों का झटका झेले भर भर पिचकारी खेले 
स्थायी :-         सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
 

Singer - Naresh Chand Khatri