सारे जगत में तू ही तू - उमा लहरी


तर्ज – सारे शहर में आप सा कोई नहीं।

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय,
जपले रे जपले रे ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय,
जपले रे जपले रे ॐ नमः शिवाय।

सारे जगत में एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही,
तू ही, तू ही, तू ही, तू ही,
तू ही, तू ही,
सारे जगत मे एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही।।

मेरी डोर तुझसे बाबा,
तेरे सुमिरण से ऐसे जुड़ी है,
चाहे जाऊँ जिस तरफ भी,
खुशियाँ बाहे फैलाए खड़ी है
मेरे घर में तेरी प्रेम गंगा बही,
मेरे घर में तेरी प्रेम गंगा बही,
सब है तुझसे मैं क्या था रे कुछ भी नही,
कुछ भी नही, कुछ भी नही,
मेरा तो सब कुछ एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही,
सारे जगत में एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही।।

मेरे बाग के ओ माली,
फूल खिलते रहे इस चमन में,
तुझसे और क्या मैं मांगू,
करता हूँ तुझको कोटि नमन मैं,
तू दयालु बड़ा तुझसा कोई नही,
तू दयालु बड़ा तुझसा कोई नही,
सारे संसार में बाबा कोई नही,
कोई नही, कोई नही,
भोला है भोला जोगिया तू ही तू ही,
तू ही, तू ही,
सारे जगत मे एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही।।

सारे जगत में एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही,
तू ही, तू ही, तू ही, तू ही,
तू ही, तू ही,
सारे जगत में एक तू,
तू ही तू ही तू ही तू ही।।

Singer - उमा लहरी