शनि शिंगणापुर - Traditional


न्याय के देवता तथा सूर्य के पुत्र शनि देव के पुरे भारतवर्ष में कई मंदिर हैं, किन्तु उन सभी में सबसे ज़्यादा महत्व है शनि शिंगणापुर का। कहते हैं यहां शनिदेव स्वयं विराजते हैं, यहां शनिदेव की प्रतिमा तो है किन्तु मंदिर नहीं है। उनकी यह प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है, जो की काले रंग की है तथा 5 फुट 9 इंच लम्बी एवं 1 फुट 6 इंच चौड़ी है।  

 मंदिर का इतिहास :- 

मंदिर का मुख्य परिसर  
शनिदेव की यह स्वयंभू प्रतिमा कितने समय से वहां विराजित है, इसका कोई प्रामाणिक जवाब नहीं है किन्तु कहा जाता है की यह मंदिर कल युग के प्रारम्भ से ही यहां स्थित है। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिंगणापुर नामक गाँव में स्थित है, जो की शिरडी से अधिक दूर नहीं। शनिदेव की प्रतिमा को संगमरमर के चबूतरे पर स्थापित किया गया है। किन्तु अन्य देवताओं की भांति इनकी प्रतिमा किसी छत्र के नीचे नहीं है, बल्कि खुले आसमान के नीचे है। इस मंदिर में शनिदेव को तेल चढ़ाना अत्यंत लाभकारी होता है, इस से शनिदेव की वक्र दृष्टि से मनुष्य की रक्षा होती है।

किन्तु कुछ समय पूर्व तक इस मन्दिर में चबूतरे पर चढ़ कर केवल पुरुष ही तेल चढ़ा सकते थे, स्त्रियां केवल दूर से दर्शन कर सकती थीं। किन्तु महिला संगठनों के विरोध के कारण अब यह नियम बदल दिया गया है, अब स्त्रियां भी शनिदेव पर तेल चढ़ा सकतीं हैं।

 मन्दिर का महत्व:- 

प्राचीनकाल से ही शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर पर ताला नहीं लगता, क्योकि यहां के लोगों का मानना है की चोरी करने वाले को शनिदेव खुद दंड देते हैं, इस कारण यहां चोरी की कोई घटना नहीं घटती। यहां तक कि यहां पर स्थित एक बैंक भी बिना ताले का रहता है। कहा जाता है जब से इस गाँव में शनिदेव की स्थापना हुई है तब से ही यहां खुशहाली और समृद्धि बढ़ गयी।

इस मंदिर में शनिवार के दिन के अलावा बाकि दिनों में भी भक्तों की बहुत भीड़ रहती है। यहां पुरुष पीताम्बर में ही स्नान कर के गीले कपड़ों में शनि को तेल चढ़ाते हैं। शनि जयंती के दिन यहां अत्यंत उत्साह रहता है, शनिदेव का जन्मदिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

मंदिर की पौराणिक कथा:-

मंदिर की मुख्य प्रतिमा
शनि शिंगणापुर मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा अत्यंत रोचक है, मान्यता है कि एक समय शिंगणापुर में भारी वर्षा हो रही थी। इतनी वर्षा से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी, और लोग प्रलय के भय से वहां से भागने लगे। एक आदमी को उसी बाढ़ में एक शिला बहती हुई दिखाई दी, जो एक पेड़ के पास अटक गयी। उसने देख तो यह एक चमकीला काला पत्थर था, उसने सोचा इसे बेचकर पैसे मिल जायँगे।  उसने उस शिला को उठाने का प्रयास किया किन्तु वह उसे उस जगह से हिला भी नहीं पाया। इसलिए उसने उसके टुकड़े करने की सोची और उस पर एक ज़ोरदार हथौड़ा मारा, किन्तु वह यह देखकर हैरान रह गया कि उस शिला में से रक्त बहने लगा। वह घबराकर वहां से भाग गया और गाँव वालों को यह बात बताई। सब उस शिला के पास गए और उसे उठाने का प्रयास किया किन्तु सब लोग मिलकर भी उसे उठा नहीं पाए।

उस रात्रि एक गाँव वाले के स्वप्न में शनिदेव आये और उन्होंने कहा वह शिला मेरा भी स्वरुप है, उसे तुम गाँव के पवित्र स्थान में प्रतिष्ठित करो। मैं स्वयं तुम्हारे गाँव की रक्षा करूँगा और फिर इस गाँव में कभी कोई विपत्ति नहीं आएगी। उसने यह बात अगले दिन सबको बताई, सबने उसे दुबारा उठाने का प्रयास किया किन्तु वह फिर भी न उठी। तब उस रात्रि भी शनिदेव ने उस गाँव वाले के स्वप्न में आकर कहा की मुझे उठाने वाले मामा और भांजे होने चाहिए और जिस बैलगाड़ी में रखोगे, वह बैल का जोड़ा भी मामा और भांजे का होना चाहिए। अगले दिन यही किया गया, गाँव के मामा और भांजे ने उस मूर्ति को उठाया और बैलगाड़ी, जिसमे बैल भी आपस में मामा और भांजे थे, उसमे रखा। फिर एक पवित्र स्थान की पूजा करा कर उसमे शनिदेव को स्थापित किया गया।

दर्शन का प्रारूप:-

भक्त शनि शिंगणापुर मंदिर 24 x 7 देख सकते हैं; सप्ताह के सभी दिन दोपहर 12:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक यहां शनिदेव के दर्शन प्राप्त होते हैं।

अभिषेक-


शनि अमावस्या पर जगमगाता परिसर
अभिषेक के लिए यहां तेल के एक पैकेट का 100 रुपये का पड़ता है। जो की वही से लेना होता है, और इसकी एडवांस बुकिंग उपलब्ध नहीं है।

(अभिषेक के लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है। भक्त तेल का पैकेट एक बर्तन में डालते हैं, जिससे बाद में शनि देव का अभिषेक किया जाता है। )

प्रसाद का समय -

दोपहर का प्रसाद : प्रातः 10:00 से दोपहर 3:00 बजे तक

रात्रिभोज का समय : सांय 6:00 बजे से शाम 9:00 बजे तक

* मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को केवल एक केसरिया धोती पहननी होती है, और महिलाओं को साड़ी-ब्लाऊज़ या सूट-सलवार दुपट्टे के साथ।

कैसे पहुचें?:-

महाराष्ट्र के सभी शहरों से बड़ी संख्या में पर्यटक वाहन शनि शिंगणापुर में आते हैं। राज्य परिवहन की बसें यहां पहुंचने के लिए सबसे अच्छे विकल्प हैं।

सड़क मार्ग से : शनि शिंगणापुर मंदिर अहमदनगर से 35 किलोमीटर दूर, पुणे से 160 किमी दूर, औरंगाबाद से 84 किमी और मुंबई से 295 किमी दूर है। मुंबई से 7 घंटे की ड्राइव कर के यहां पंहुचा जा सकता है।

रेल मार्ग से :
अहमदनगर रेलवे स्टेशन शिंगणापुर शहर तक पहुंचने के लिए सुविधाजनक और निकटतम रेलवे स्टेशन है। स्टेशन शहर से 35 किलोमीटर दूर है।

हवाई मार्ग से :
औरंगाबाद (90 किमी) और पुणे (160 किलोमीटर) शनि शिंगणापुर के निकटतम हवाई अड्डे हैं। किराए पर टैक्सी और अन्य वाहन हवाई अड्डे के बाहर हर समय उपलब्ध रहते हैं।

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