शंकर जी की साढ़े साती - Rakesh Kala


Title:- शंकर जी की साढ़े साती
M:-    जय ॐ कारम जय त्रिनेत्र धारम
    नमामि शिवायम करुणा निधानम
    सकल विश्वव्यापम त्रिलोकी नाथम
    आदि देव सनातनम महादेव चरणम नमामि
        १
M:-    महादेव की कथा सुनाऊ
    सुनो लगा के ध्यान -२
    आदि नहीं ना अंत है जिनका
    है आदि देव भगवान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की
    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो महादेव की जय

वार्ता :-    भक्तो ये अद्भुत कथा भगवान भोलेनाथ और न्यायाधीश शनिदेव जी
की है शनि जी के प्रकोप से कोई भी नहीं बच पाया है नर नारायण देवता सबको शनि जी का त्रास झेलना पड़ता है ऐसे मे भगवान भोलेनाथ के ऊपर सवा पहर के लिए शनि की छाया आनी निश्चित थी तो भोलेनाथ जी शनि देव से बचने के लिए क्या करते है आइये श्रवण करते है -
        २
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय ||१||
    एक बार नारद मुनि आये
    शिव शंकर के पास ||२||
    लेके संदेशा शनिदेव का
    शिव चिंतक बन ख़ास ||३||
    हाथ जोड़ कर चरण वंदना
    श्री नारद विणा धारी ||४||
    नेत्र खोल मुस्कान बिखेरी
    त्रिभुवन के त्रिपुरारी ||५||
    कारज कौन विशेष से आये
    कहो मुनि गुणवान ||६||
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है ||७||

वार्ता :-      भोलेनाथ अपने नेत्र खोलते है और नारद जी को देखकर मंद मंद मुस्काते हुए कहते है है नारद श्रेष्ठ आपके मुख मंडल को देखके ऐसा लग रहा है आप किसी विशेष प्रायोजन के साथ आये है
                
        ३
M-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनि देव की जय
    नारायण कह नारद बोले
    महादेव से वाणी
    आ रहे है शनि छाया बन के
    आपके सिर शिवदानी
    सवा पहर का चक्र है भोले
    चक्कर खा जाओगे
    शनि की छाया पड़के रहेगी
    उनसे नहीं बच पाओगे
    चाहे जोड़ो हाथ शनि से
    चाहे पकड़ो कान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-    नारद जी की बात सुनके भोलेनाथ ठहाका मारकर हस पड़ते है और कहते है हे नारद शनि देव और मेरे सिर पे आने वाले हे कैसी कोतुहल भरी बाते कर रहे हे आप
                ४
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    हँसे है भोले जोर जोर से
    गगन ठहाका गूंजा    
    अपने सिर पे शनिदेव को
    कभी ना आने दूंगा
    मेरे ऊपर शनि जी आये
    ताकत नहीं है उनकी
    महादेव से टकराने की
    हिम्मत नहीं है उनकी
    हमसे अभी तक शायद तुम हो
    नारद जी अनजान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     नारद मुनी बोले हे महादेव आप कुछ भी कर लो शनिदेव आपके सिर के ऊपर सवारी करने के लिए निकल पड़े हे आपको ही ढूंढ रहे है शनिदेव
               ५
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    हाथ जोड मुनि नारद बोले
    सुनो नाथ त्रिपुरारी
    सवा पहर के लिए शनि की
    बनेंगे आप सवारी
    नियम समय का यही है भोले
    शनि है नियम के पक्के
    शनि के आगे पानी मांगते
    है अच्छे से अच्छे
    तुम्हे खोजने निकल पड़े है
    शनि राज गुणवान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     नारद जी कहते हे केवल सवा पहर की ही तो बात हे भोलेनाथ सवा पहर तो युहीं गुजर जायेगा भोलेनाथ नारद जी की बात सुनके चिंता में डूब जाते हे    
        ६
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनि देव की जय
    सवा पहर की बात है भोले
    पहर गुजर जायेगा
    आपके सिर से शनिदेव का
    कहर गुजर जायेगा
    कौन बचा है शनिदेव से
    आज तलक बतलादो
    नर हो या नारायण कोई
    एक नाम बतलादो
    सुनके बात मुनिनारद की
    हो गए शिव परेशान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     भगवान भोलेनाथ के ह्रदय में शनिदेव का डर बैठने लगा था वो अपना सिर खुजाने लगते हे सोच में डूब जाते हे शनिदेव की छाया से कैसे बचु मैं 
        ७
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    सोच में पड़ गए शिव शमशानी
    सिर को लगाने खुजाने
    हालत समझ गए नारद जी
    शिव को लगे समझाने
    आज्ञा मिले जो हमे आपकी
    एक उपाय बताऊ
    कैसे बचोगे शनिदेव से
    गुरु मंत्र समझाऊ
    बन जायेंगे भीगी बिल्ली
    शनिदेव बलवान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है
वार्ता :-     भगवान भोलेनाथ के मुखमंडल पर मुस्कान आ जाती है नारद जी की बात सुनके की कोई उपाय तो है शनिदेव की छाया से बचने के लिए
        ८
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    पुलकित मन से भोले बोले
    तुरंत कहा मुनिज्ञानी
    हर हालत में शनिदेव से
    मुझे है जान छुड़ानी
    क्षणिक देर के लिए जो मुझमे
    शनिदेव आ बैठे
    देवलोक में हसी हमारी
    जो जाएगी वैसे
    शनिदेव से बचालो मुझको
    है नारद गुणवान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है
        ९
वार्ता :-     शंकर भगवान शनिदेव से घबरा जाते है सोचते है सारा देवलोक मेरी हसी उड़ाएगा की त्रिलोकी नाथ भी नहीं बच पाए शनिदेव से वो नारद जी से विनती से करने लगते है की है नारद शनि के प्रकोप से बचालो मुझको
            
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    चिंतित स्वर में नारद बोले
    सुनलो भोलेनाथ
    झट से तुम उल्लू बन जाओ
    मान लो मेरी बात
    उल्लू से है शनिदेव का
    सच्ची आंकड़ा छत्तीस
    उल्लू के सिर शनिदेव जी
    कभी ना आये हरगिज
    बात सुनी जो नारद जी की
    उछल पड़े भगवान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     नारद मुनि की बात सुनके भोलेनाथ क्रोध में आ जाते है कहते है नारद जी आप जानते है की आप क्या कह रहे है नारद जी हाथ जोड़ के बोले है भोले नाथ शनिदेव केवल उल्लू को छोड़ के बाकी सबकी परीक्षा लेते है सबके ऊपर उनकी छाया पड़ती है आपको यदि शनि की छाया से बचना है तो यही एक मात्र उपाय है आपके पास की आप सवापहर के लिए उल्लू बन जाइये और फिर मेरे आलावा कौन जानता है कौन देख रहा है की आप सवापहर के लिए उल्लू बने थे ये आप मेरा विशवास करे में किसी को भी नहीं बताऊंगा की आप शनिदेव से बचने के लिए सवा पहर तक उल्लू बनके बैठे थे
        १०
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    धीमे स्वर में नारद जी से
    बोले शिव नारद जी से
    बोले शिव वरदानी
    हर हालत में शनिदेव से मुझे है जान बचानी
    बना था उल्लू सवापहर में
    ये बात कही ना जाये
    अगर खुल गयी बात कहीये
    मेरी हंसी उड़ जाए
    मेरी लाज बचा के रखना
    नारद मुनि महान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-      नारद जी बोले है भोलेनाथ मेरा विशवास करो में किसी को नहीं बताऊंगा आज देर न करे भोलेनाथ आपका समय प्रारंभ होने वाला है वो देखो शनिदेव रथ पे सवार होके इधर ही आ रहे है उनके आने से पहले ही उल्लू बन के बरगद के ऊपर बैठ जाइये सवा पहर के बाद शनिदेव वापस चले जायेंगे भोलेनाथ देखते है तो शनिदेव पवनगति से चले आ रहे है भोलेनाथ झट से उल्लू बनके बरगद के ऊपर बैठ जाते है शनिदेव आके देखते है तो हसने लगते है समझ जाते है की ये सब नारद जी का किया धरा है
        ११.
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    शनिदेव जी आके वहां पर
    उतरे रथ के नीचे
    भोले बन उल्लू बैठे है
    शनि ठहरे वट के नीचे
    शनिदेव से नारद बोले
    सुनो श्रेष्ठ शनिराज
    उलटी पड़ गयी चाल आपकी
    जाओ वापिस आज
    सुनके आ गयी शनिदेव के
    चेहरे पे मुस्कान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है
वार्ता :-     नारद जी बोले है शनिदेव लौट जाइये आप हार गए आज आपसे उल्लू का छत्तीस का आंकड़ा है और भोलेनाथ उल्लू के भेष में बैठे है क्या करेंगे आप शनिदेव बोले है नारद सवा पहर तक यही रहूँगा में सवापहर से पहले में यहाँ से हिल भी नहीं सकता हूँ नारद जी धरती पर बैठ जाते है शनिदेव भी बैठ जाते है भोलेनाथ तो डाल के ऊपर विराजमान है इसी तरह से सवापहर बीत जाता है
        १२
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    तीनो को बैठे बैठे जब
    सवा पहर गए बीत
    उल्लू से फिर बन भोले
    बोले मैं गया जीत
    सवा पहर गए बीत शनि जी
    क्या कर पाये मेरा
    मुझको तुम छू भी ना पाए
    रहे बैठ लगाए डेरा
    सुन भोले की बात शनि है
    हो गए थे हैरान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     भगवान भोले उल्लू का चोला त्याग के पुनः अपने रूप में आ जाते है और गर्व से सीना चौड़ा कर के शनिदेव से कहते है शनिदेव तुम हार गए अब तुम्हारा समय समाप्त हो चूका है सवा पहर तक डेरा डाले बैठे रहे मुझे छू भी नहीं पाये नारद जी जोर हँसे और बोले –
            १३
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    शनिदेव नारद से बोले
    तुम्ही उन्हें समझाओ
    उल्लू बनके कौन था बैठा
    भोले को बतलाओ
    मुझसे कोई नहीं बचा है
    और नहीं बच पाये
    सवा पहर के लिए ही चाहे
    उल्लू ही बन जाए
    इसीलिए ब्रह्माण्ड में सारे
    शनि की है पहचान
    कथा ये महादेव की है
    कथा ये शनिदेव की है

वार्ता :-     शनिदेव की बात सुनके भोलेनाथ दाए बाए देखने लगते है नारद की तरफ क्रोधित नजरो से देखते है तो नारद जी नारायण नारायण करते हुए भाग जाते है
         १४
M:-    जय बोलो महादेव की जय
    जय बोलो शनिदेव की जय
    दंत कथा पे है आधारित
    कथा जो मेने गायी  
    कुछ है हकीकत कुछ है फ़साना
    कुछ है सुनी सुनाई
    हाथ जोड़के क्षमा मांगता
    सभी से है सुखदेव
    बारबार है यही निवेदन
    क्षमा करो महादेव
    मम अपराध क्षमा कर दीजे
    मैं मूरख नादान
    कथा ये महादेव की है
 

Singer - Rakesh Kala