शिव विवाह कथा - Rakesh Kala


प्रथम गुरु को वंदना दूजे आदि गणेश 
तीजे माता शारदे कंठ में करो प्रवेश ओ मैया ||

शिव विवाह की कथा है यह सुनो लगाकर ध्यान 
सुनने से हो जाएगा भक्तों का कल्याण ||

राजा हिमाचल और मैना हो रहे आज प्रसन्न 
माता घर में प्रकट हुई जीवन हो गया धन्य ||

पुत्री बनी है जगदंबा उत्सव मोड मनाए
देने बधाई हिमाचल को सब महलों से आए ||

पर्वतराज की पुत्री है रखा पार्वती नाम 
बचपन से ही भोले को पति लिया था मान ||

 लाड प्यार से पली-बढ़ी सबसे पाया प्यार
 धीरे धीरे हो गई 16 की उम्र  पार ||

ब्याह की चिंता होने लगी ढूंढे राजकुमार 
राम पंडित बुला लिया राजा ने इस बार ||

घूमो तीनो लोक में महल महल तुम जाओ 
पार्वती हित वर कोई उत्तम ढूंढ के लाओ ||

पोथी पोटला उठाई के पंडित जी चले जाएं 
महलों की फिर द्वार पर पार्वती को पाए ||

पंडित से बोली गोरा सीधा कैलाश पर जाओ 
मेरे शिव भोलेनाथ को ब्याह संदेश सुनाओ ||

कहना तुमसे ब्याह को गोरा है तैयार 
जल्दी बारात को ले आओ हो नंदी असवार ||

पंडित धरती घूम लिया घूम लिया आकाश
 वर कोई गौरा के लिए मिल नहीं पाया खास ||

पंडित जी सोचने लगे क्यों ना कैलाश पर जाए 
गोरा के संदेश को शिव जी को दे सुनाएं ||

शिव भोले को दे दिया गौरा का संदेश 
मेरे लिए क्या दे प्रभु आपका आदेश ||

बैठने को शिव ने दी बाघ की थी छाल 
खाने को सामने रखा भांग धतूरे का थाल ||

पीने को फिर दे दिया एक लोटा भांग 
पंडित जी फिर भाग लिए सिर पर रखकर टांग ||

भागते भागते जा पहुंचे राजा हिमाचल पास 
भूख से बेहाल थे और लगी थी प्यास ||

भरपेट भोजन किया और किया जलपान 
अब बोले हैं राजन तुम लगाकर ध्यान ||

वर कोई लायक नहीं ढूंढ लिया ब्रह्मांड
गौरा बीच में बोल उठी बात मेरी लो मान ||

शिव शंकर से मात-पिता ब्याह दो करवाए 
शिव ही प्राण मेरे मैया मेरे ह्रदय समाय ||


पंडित एकदम बोल उठे मानना नहीं बात 
मत ब्याहना गौरा को तुम उस औघड़  के साथ ||

अर्धनग्न वह रहता है तन पर भस्म रमाए 
नाग गले लहरा रहे भांग धतूरा खाए ||

मुंडमाला से करें अपना वह श्रृंगार
महल दुमहले कुछ नहीं और नहीं घर बार ||

बेटी को कुंवारी रखूं  रखूं  अपने पास
बेटी को ब्याहूंगी उस औघड़  के साथ ||

अन्नजल छोड़ के गौरा ने शिव का ध्यान लगाए
सप्त ऋषि माता-पिता कोई समझा ना पाए ||

मन मार के मात-पिता हुए ब्याह को तैयार
सप्त ऋषि भी जा पहुंचे शिव भोले के पास ||

समझाने पर शिव हुए ब्याह को फिर तैयार 
और कैलाश पर गुंज उठी शिव की जय जय कार ||

मैना हिमाचल को शिवजी अब तो सबक सिखाएं 
दूल्हा रूप को छोड़कर ओगड़ रूप बनाए ||

हिमाचल द्वारे आ गई भूतों की बारात 
डाकिन शकीन प्रेतनी झूम झूम रही नाच ||

शामियाने में मची भगदड़ देखो आज 
शुक्र शनिचर खा गए सारा ही अनाज ||

मां मैंना फिर गिर पड़ी भूमि खाकर पछाड़ 
राजा हिमाचल रो रहे मार कर देखो दहाड़ ||

बातें ये गौरा जानती यह शिव की माया 
माया समेट लो प्राण पति चरणन फरमाया ||

जैसे ही माया हटी सज गई थी बारात
ब्रह्मा विष्णु देव सभी आए बारात के साथ ||

ब्रह्मा जी ने गौरा संग फेरे लिए पड़वाए
गौरा शिव के नाम में भक्तों आन समाए ||

शिव संग नंदी बैठ के मां कैलाश पर आई 
ब्रह्माणी और लक्ष्मी स्वागत थी करवाई ||

पूरे हुए विवाह के सारे रस्मो रिवाज 
सारी सृष्टि आ गई देखो कैलाश पर आज ||

शिव शंकर मां गौरा के सब ने दर्शन पाए 
चंदन तिलक नमन करें चरनन शीश नवाए ||

Singer - Rakesh Kala