श्री बगलामुखी माता चालीसा - Tara Devi


|| बगलामुखी चालीसा ||

F:- सिर नवाइ बगलामुखी
लिखूं चालीसा आज 
कृपा करहु मोपर सदा
पूरन हो मम काज
आइए सुनते हैं श्री बगलामुखी चालीसा

 जय जय जय श्री बगला माता 
आदिशक्ति सब जग की त्राता 
कोरस:- बगला  सम तब आनन माता 
एहि ते भयउ नाम विख्याता 
F:- शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी 
असतुति करहिं देव नर-नारी 
कोरस:- पीतवसन तन पर तव राजै 
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै 

F:- तीन नयन गल चम्पक माला 
अमित तेज प्रकटत है भाला 
कोरस:- रत्न-जटित सिंहासन सोहै 
शोभा निरखि सकल जन मोहै 
F:- आसन पीतवर्ण महारानी 
भक्तन की तुम हो वरदानी 
कोरस:- पीताभूषण पीतहिं चन्दन 
सुर नर नाग करत सब वन्दन 
F:- एहि विधि ध्यान हृदय में राखै 
वेद पुराण संत अस भाखै 
कोरस:- अब पूजा विधि करौं प्रकाशा 
जाके किये होत दुख-नाशा 

F:- प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै 
पीतवसन देवी पहिरावै 
कोरस:- कुंकुम अक्षत मोदक बेसन 
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन 
F:- माल्य हरिद्रा अरु फल पाना 
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना 
कोरस:- धूप दीप कर्पूर की बाती 
प्रेम-सहित तब करै आरती 
F:- अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे 
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे 
कोरस:- मातु भगति तब सब सुख खानी 
करहुं कृपा मोपर जनजानी 

F:- त्रिविध ताप सब दुख नशावहु 
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु 
कोरस:- बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं 
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं 
F:- पूजनांत में हवन करावै 
सा नर मनवांछित फल पावै 
कोरस:- सर्षप होम करै जो कोई 
ताके वश सचराचर होई 
F:- तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै 
भक्ति प्रेम से हवन करावै 
कोरस:- दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई 
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई 

F:- फूल अशोक हवन जो करई 
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई
कोरस:- फल सेमर का होम करीजै 
निश्चय वाको रिपु सब छीजै 
F:- गुग्गुल घृत होमै जो कोई 
तेहि के वश में राजा होई 
कोरस:- गुग्गुल तिल संग होम करावै 
ताको सकल बंध कट जावै 

F:- बीलाक्षर का पाठ जो करहीं 
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं 
कोरस:- एक मास निशि जो कर जापा 
तेहि कर मिटत सकल संतापा 
F:- घर की शुद्ध भूमि जहं होई 
साध्का जाप करै तहं सोई 
कोरस:- सेइ इच्छित फल निश्चय पावै 
यामै नहिं कदु संशय लावै 
F:- अथवा तीर नदी के जाई 
साधक जाप करै मन लाई 
कोरस:- दस सहस्र जप करै जो कोई 
सक काज तेहि कर सिधि होई

F:- जाप करै जो लक्षहिं बारा 
ताकर होय सुयशविस्तारा 
कोरस:- जो तव नाम जपै मन लाई 
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई 
F:- सप्तरात्रि जो पापहिं नामा 
वाको पूरन हो सब कामा 
कोरस:- नव दिन जाप करे जो कोई 
व्याधि रहित ताकर तन होई
F:- ध्यान करै जो बन्ध्या नारी 
पावै पुत्रादिक फल चारी 
कोरस:- प्रातः सायं अरु मध्याना 
धरे ध्यान होवै कल्याना 
F:- कहं लगि महिमा कहौं तिहारी 
नाम सदा शुभ मंगलकारी 
कोरस:- पाठ करै जो नित्या चालीसा 
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा 
कोरस:- पाठ करै जो नित्या चालीसा 
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा 

M:- सन्तशरण को तनय हूं
कुलपति मिश्र सुनाम 
हरिद्वार मण्डल बसूं 
धाम हरिपुर ग्राम 
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की
श्रावण शुक्ला मास 
चालीसा रचना कियौ
तव चरणन को दास 
बोलिए बगलामुखी मैया की
कोरस:-  जय

Singer - Tara Devi