श्री गणेश जन्म गाथा - Rakesh Kala


स्वर बुद्धि का ज्ञान दो पूर्ण कीजे काज 
श्री गणेश के जन्म की गाथा कहता आज ||

कैसे इनका जन्म हुआ कैसे गवाएं प्राण 
कैसे गज का शीष लगा कैसे लौट आए प्राण ||

गाथा का प्रारंभ करूं ले गणेश का नाम
 गौरी नंदन आपके चरणों में है प्रणाम ||

आओ आपको ले चलो भक्तों में कैलाश 
शिव शंभू तप में लगे शिवगंज कर रहे काज ||

गौरा मां ने विचार किया स्नान में कर आउ 
जब तक शिवजी जागते वापस में आ जाऊं ||

जया और विजया सखी  गौरा लीन्ही  बुलाए 
तीनों फिर एक साथ में स्नान घर को जाए ||

क्या होगा जो कोई भीतर को आ जाए 
हम तीनों की लाज तो बाकी रह ना पाए ||

पार्वती मन में करी  भक्तों एक विचार 
उबटन को मां शरीर से एकदम दई उतार ||


उत्तरी उबटन को दिया फिर मानव आकार
प्राण मंत्र को फूंक के किया प्राण संचार  ||

हष्ट पुष्ट  बालक फिर एक पुतला वह बन जाए 
गोरा चरण में बालक ने शीश दिया झुकाए ||


जाओ पुत्र जाकर बैठो स्नानघर के द्वार 
जब तक हम स्नान करें तुम रहो पहरेदार ||

ध्यान रखो इस बात का चाहे कुछ हो जाए 
स्नानघर के भीतर को कोई ना आने पाए ||


हाथों में फिर दंड लिया शरण शीश झुकाए 
बालक जाकर द्वार पर भक्तों बैठे ही जाएं ||

और इधर कैलाश पर शिवजी गए थे जाग 
गौरा को वह बुलाए रहे शिव शंभू वह आज ||

नंदी ने फिर शिवजी को बात दई बताए 
सखियों संग मां पार्वती स्नान करण को जाए ||

जल्दी जाओ तुम अभी गोरा को बुलाओ 
शिवजी को है भूख लगी गोरा को बतलाओ ||

नंदी और शिव गण पहुंचे स्नानघर 
देखा बालक बैठा है स्नानाघर के द्वार ||

परिचय पूछने पर कहा मैं गौरा का लाल
वापस सब चले जाइए नहीं बनूंगा काल ||

सींग पकड़ नंदी भृंगी हवा में दिए उड़ाई 
बुरी तरह फिर शिव गणों की मार दई लगाए ||

रोते-रोते आ गए शिव भोले के पास 
और बताइ  भोले को गौरी पुत्र की बात ||

बात सुनी जब नंदी की शिव जी क्रोध में आए 
गोरी ललन के पास में शिव भोले फिर आए ||

जाओ बालक चले जाओ और छोड़ो तुम द्वार 
मैं भीतर को जाऊंगा मैं गौरा भरतार ||

कोई भीतर ना आए मैया का आदेश 
आप वापस चाहिए आग्रह करें विशेष ||

तीजा नेतृ खुल गया लिया त्रिशूल उठाए  
बाल गणेश के शीश को काट के दिया उड़ाए ||

शोर सुना गौरा ने तो मैया बाहर आए 
मृत देखा जब बालक को चंडी रूप बनाए  ||

हे भोले बालक को दो तुम जीवनदान 
नहीं तो सारी सृष्टि को आप करूं शमशान ||

विष्णु से आग्रह किया दक्षिण दिशा भिजवाए 
गज बालक के शीश को शिवजी दिए मंगवाए ||

बालक के धड़ से प्रभु गजमुख दिया लगाए 
प्राण मंत्र फिर फूंक के बालक दिया खिलाएं ||

बाल गणेश की हो रही जग में जय जय कार 
पूरे कैलाश में मन रहा भक्तों आज त्यौहार ||

प्रथम पूज्य का दे दिया शिव जी ने वरदान 
तुम गंगा के इस हो दिया गणेश का नाम ||

ब्रह्मा ने सब भेज दिए और ब्रह्माणी ज्ञान 
विष्णु सुदर्शन दे दिए लक्ष्मी ने धन धान ||

सभी देवों ने दे दिया शक्तियों का दान 
चंदन तीनो लोक में गणपत का गुणगान ||

Singer - Rakesh Kala