श्री कृष्ण जन्म - Rakesh Kala


हे मां वीणा वादिनी स्वर का दे दो ज्ञान 
श्री कृष्ण जन्म की कथा कर रहा हूं मैं गुणगान ||

श्री हरि विष्णु ने धरा भ्राज का अवतार 
प्रगट हो गए थे धरती पर हरने उसका भार  ||

ध्यान लगाकर बैठिए हुई कथा आरंभ 
होने जा रहा है भक्तों श्री कृष्ण का जन्म ||

भारत में मथुरा नगरी राजा जिसका कंस 
अत्याचारी अनाचारी भरा हुआ था घमंड ||

अपने माता-पिता को दिया उसने कारावास 
मथुरा की जनता को दिया उसने बहुत ही त्रास ||

बहन थी उसकी देवकी स्नेह था अपार 
बड़े भाई का बहना पर अजब था प्यार दुलार ||

वासुदेव संग से उसका कराया ब्याह
विदा कराने बहन को खुद ही रथ हाका  ||

जो ही पहुंचा मार्ग में बादल थे घिर आये 
बिजली कड़की जोर से आंधी तूफान आए ||

हुई आकाश से वाणी कंस हो सावधान 
काल तेरा जल्द आएगा सुनले लगाकर ध्यान ||

देवकी की जब होगी आठवीं संतान 
उसके हाथों होगा तेरा काम तमाम ||

सुनते ही वह चौक गया हाथ में ली तलवार 
रथ रोका और करने चला देवकी पर वार ||

वासुदेव गिरे पावों में बहन को मत दो मार
एक बार बस ध्यान से सुन लो मेरा विचार ||

भविष्य में जो भी होगी हमारी वह संतान 
तुम्हारे हाथों सौंपेंगे बात मेरी लो मान ||

बहन जमाई को भेज दिया कंस ने कारावास 
हाथ पैरों में बेड़ियां देता बहुत था त्रास ||

 
एक-एक करके मार दी सात ही संतान 
अब आने वाली थी आठवीं संतान ||

भादो अष्टमी आ गई काली अंधेरी रात 
प्रसव पीड़ा में देवकी रो रो था बुरा हाल ||

श्री हरि विष्णु ने लिया कृष्ण का अवतार 
लीला दिखला ने चले भक्तों लीलाधार ||


ज्यो ही  कान्हा जन्म लिए सो गए पहरेदार
अपने आप ही खुल गए बंद जेलों के द्वार ||

पिता के मन आयी प्रेरणा बालक बचाऊ 
किसी तरह में बालक को यमुना पार कराऊ ||

एक टोकरी में धरा चल पड़े यमुना और
बारिश बिजली और तूफान आंधी का था शोर ||

जूही नदी में पांव धरा  यमुना चरण छुआए 
नदी बीच मार्ग बना उससे पार हो जाए ||

शेषनाग छैया करें कान्हा भीग ना जाए
टोकरी लेटे कान्हा जी मंद मंद मुस्काए ||

नंद के द्वारे पहुंच गए महल के भीतर आए 
यशो मत ने कन्या जन्मी उसको लिया उठाएं ||

कान्हा जी को लिटा दिया यशो मत जी के पास 
कन्या को फिर ले आए वह तो कारावास ||

कन्या जूही रोने लगी उठ गए पहरेदार 
कंस को फिर दे आए जन्म का समाचार ||

पापी जेल में आ गया कन्या लीन्ही छीन 
ज्यों ही शील पर लटका उसे हुई आकाश विलीन ||

महामाया कहने लगी भक्तों आह्वान 
बोली तेरा काल तो पहुंच नंद के पास ||

कंस से बुलवा लिया अपना सब दरबार 
योजना बनवाने लगा करूं कृष्ण संहार ||

अकासुर और बकासुर पूतना सारे ही भिजवाए 
स्वयं मरे राक्षस अभी तुमको मार न पाए ||

अक्रूर को भेजा था कंस तुमको लिया बुलवाएं 
दाऊ संग में कान्हा जी मथुरा गए थे आए ||

ज्यो ही मथुरा पग धरा पागल गज छुड़वाए 
कान्हा हाथों मारा गया मुक्ति गज लें पाए ||

कुबड़ा का कूबड़  हटा राक्षस मार गिराए 
कंस ने मल्लयुद्ध को आपका लिया बुलाए ||

भूमि पटक के गिरा दिया तूने किया प्रहार 
कृष्ण कन्हैया लाल ने कंस को दिया मार ||

अग्रसेन को सौंप दिया फिर मथुरा का राज
 तीनो लोक में गूंज रहे जयकारे हैं आज  ||


चंदन ने गाथा कहीं भक्तो ध्यान लगाओ 
कृष्ण कन्हैया लाल भव से पार लगाओ || 
 

Singer - Rakesh Kala