तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम जानत सब अंतर्यामी
तुम जानत सब अंतर्यामी
करनी कछु न करी
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
औगुण मौसे बिसरत ना हीं
औगुण मौसे बिसरत ना हीं
पल छिन घरी घरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
दारा, सुत, धन, मोह लिये हों
दारा, सुत, धन, मोह लिये हों
सुध-बुध सब बिसरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
सूर पतित को बेगि उदारो
सूर पतित को बेगि उदारो
अब मेरी नांव भरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम मेरी राखो लाज हरि
Singer - Jagjit Singh