वडकुनाथन मंदिर त्रिश्शूर (Vadakunathan Temple Thrissur) - The Lekh


वडकुनाथन मंदिर त्रिश्शूर

Vadakkunnathan Temple, Thrissur | Blue Bird Travels

त्रिश्शूर एक खूबसूरत प्राचीन शहर और केरल की सांस्कृतिक राजधानी है। भूतपूर्व कोचिन रियासत के महाराजा राम वर्मा (९ वां) (शक्तन तम्बुरान) (1790 – 1805) के समय त्रिश्शूर ही रियासत की राजधानि भी रही। नगर के मध्य में ही 9 एकड में फैला ऊंचे परकोटे वाला एक विशाल शिव मंदिर है जिसे वडकुनाथन कहते हैं। वडकुनाथन से तात्पर्य “उत्तर के नाथ” से है जो 'केदारनाथ' ही हो सकता है। प्राचीन साहित्य में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस मन्दिर में आदि शंकराचार्य के माता पिता ने संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किये थे। एक और सबंध भी है। यहाँ आदि शंकराचार्य की तथाकथित समाधि भी बनी है और उसके साथ एक छोटा सा मंदिर जिसमे उनकी मूर्ति भी स्थापित है। उल्लेखनीय है कि आदि शंकराचार्य की एक समाधि केदारनाथ मंदिर के पीछे भी है। वडकुनाथन के इस मंदिर के चारों तरफ 60 एकड में फैला घना सागौन का जंगल था जिसे शक्तन तम्बुरान ने कटवा कर लगभग ३ किलोमीटर गोल सडक का निर्माण करवाया था। यही आज का स्वराज राउंड है। किसी विलिचपाड (बैगा) के यह कह कर प्रतिरोध किये जाने पर कि ये जंगल तो शिव जी की जटाएं हैं, उस राजा ने अपने ही हाथ से उस बैगे का सर काट दिया था। इसी मंदिर के बाहर अप्रेल/मई में पूरम नामका उत्सव होता है जिसे देखने विदेशियों सहित लाखों लोग आते हैं।

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वादाक्कुन्नाथान मंदिर की वास्तुकला
प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ वडकुनाथन मंदिर श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण परिवेश प्रदान करता है। यह मंदिर लगभग 9 एकड़ के क्षेत्र में फैला हैं। मंदिर शहर के केंद्र में एक ऊंचे पहाड़ी इलाके पर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर विशाल पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है। इस मंदिर के चारो दिशा में प्रवेश द्वार बनवाये गए है जिन्हें स्थानीय भाषा में गोपुरम कहा जाता है। आंतरिक मंदिर और बाहरी दीवारों के बीच, एक बड़ा खुला भाग है।

यहां एक व्यापक गोलाकार ग्रेनाइट दीवार आंतरिक मंदिर और बाहरी मंदिर को अलग करती है। इस मंदीर में मुरल शैली में महाभारत के चित्र बनवाये गए है जिनमे वासुकीशयन और न्रिथानाथा दिखाई देते है और उनकी हर रोज पूजा की जाती है। इसी मंदिर में एक संग्रहालय है जिसमे बहुत सारी पुराणी पेंटिंग, लकड़ी पर बनाये हुए नक्काशी और बहुत कुछ पुराणी चीजे देखने को मिलती है।

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वडकुनाथन मंदिर का इतिहास
मान्यता हैं की इस मंदिर को खुद भगवान परशुराम ने बनवाया था। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के एक अवतार थे। यह मंदिर 1000 साल पुराना है तो इसकी उत्पत्ति के विषय में कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता। मलयालम इतिहासकार वीवीके वालथ के अनुसार यह मंदिर कभी एक पूर्व द्रविड़ कवू (देव स्थल) था। बाद में यह मंदिर छठी शताब्दी के बाद अस्तित्व में आए नए धर्म संप्रदायों के प्रभाव में आया, जिसमें बौद्ध धर्म, जैन धर्म और वैष्णववाद शामिल थे।

वडकुनाथन मंदिर की उत्पत्ति की कहानी ब्रह्मांड पुराण में संक्षिप्त रूप में वर्णित है, इसके अलावा अन्य संदर्भों में भी इस मंदिर के विषय में काफी जानकारी प्राप्त होती है। ज्यादातर इतिहासकार इस बात को मानते हैं की इस मंदिर का निर्माण भगवान् पशुराम द्वारा किया गया हैं।

भगवान् पशुराम नरसंहार के बाद खुद को शुद्ध और अपने कर्म को संतुलित करने के लिए उन्होंने एक यज्ञ किया, जिसके बाद उन्होंने दक्षिणा के रूप में ब्राह्मणों को सारी भूमि दे दी। इसके बाद उन्होंने समुद्र के देवता वरूण से अनुरोध किया थी उन्हे तपस्या के लिए समुद्र के किनारे कोई जमीन का टुकड़ा प्रदान करें। जिसके पश्चात् उन्हें एक जमीन मिली, जो अब का केरल हैं।

भगवान परशुराम ने इस जमीन पर सबसे पहले वडकुनाथन मन्दिर का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने और भी कई मंदिर बनवाये थे। इसी वजह से भी इस मंदिर को अहम माना जाता है।

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कैसे जाएँ
वडकुनाथन मंदिर ऐसे जगह पर स्थित हैं, जहां आप परिवहन के तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन त्रिशूर रेलवे स्टेशन हैं। सड़क मार्ग से भी यह जगह अच्छी तरह जुड़ा हैं।

Vadakunathan Temple Thrissur

Thrissur is a beautiful ancient city and the cultural capital of Kerala. Thrissur was also the capital of the princely state during the time of Maharaja Rama Varma (9th) (Shaktan Tamburan) (1790 – 1805) of the erstwhile Cochin princely state. Spread over 9 acres in the middle of the city, there is a huge Shiva temple called Vadakunathan with high ramparts. Vadakunathan refers to the "Nath of the North" which can only be 'Kedarnath'. It is mentioned in the ancient literature that the parents of Adi Shankaracharya performed rituals in this temple to get children. There is also another relation. The so-called Samadhi of Adi Shankaracharya is also built here and along with it a small temple in which his idol is also installed. It is noteworthy that a samadhi of Adi Shankaracharya is also behind the Kedarnath temple. There was a dense teak forest spread over 60 acres around this temple of Vadakunathan, which was cut down by Shaktan Tamburan and a round road of about 3 kilometers was constructed. This is today's Swaraj round. When a Vilichpad (Baiga) resisted by saying that these forests are the locks of Lord Shiva, that king cut off the head of that Baiga with his own hand. Outside this temple, a festival called Pooram takes place in April/May, which is witnessed by lakhs of people including foreigners.

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Architecture of Vadakkunnathan Temple
Surrounded by natural beauty, Vadakunathan Temple provides a spiritual and peaceful environment to the devotees. This temple is spread over an area of about 9 acres. The temple is situated on a high hillock in the center of the city. This ancient temple is surrounded by massive stone walls. Entrance gates have been built in all four directions of this temple, which are called Gopurams in the local language. Between the inner temple and the outer walls, there is a large open passage.

Here a broad circular granite wall separates the inner shrine and the outer shrine. In this temple, pictures of Mahabharata have been made in mural style, in which Vasukisayan and Nirthanatha are visible and they are worshiped everyday. There is a museum in this temple, in which many old paintings, wood carvings and many other old things are seen.

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History of Vadakunathan Temple
It is believed that this temple was built by Lord Parshuram himself. Lord Parshuram was an incarnation of Lord Vishnu. This temple is 1000 years old, so there is no accurate evidence regarding its origin. According to Malayalam historian VVK Valath, this temple was once a former Dravidian kavu (god place). Later the temple came under the influence of new religious sects that came into existence after the 6th century, which included Buddhism, Jainism and Vaishnavism.

The story of the origin of the Vadakunathan temple is briefly described in the Brahmanda Purana, apart from this a lot of information about this temple is available in other contexts as well. Most historians believe that this temple was built by Lord Pashuram.

Lord Pashurama performed a yagya to purify himself and balance his karma after the massacre, after which he gave all the land to the brahmins as dakshina. After this, he requested Varuna, the god of the sea, to provide him a piece of land on the seashore for penance. After which he got a land, which is now Kerala.

Lord Parashurama first built the Vadakunathan temple on this land. After this, he had built many more temples. For this reason also this temple is considered important.

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How to go
Vadakunathan Temple is located at a place where you can reach by all the three modes of transport. The nearest airport here is Kochi Airport. The nearest railway station is Thrissur Railway Station. This place is also well connected by road.

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