नवरात्रि के सातवें दिन क्यों होती है कालरात्रि माता की पूजा, जानिए इसके पीछे की कथा (Why Kalratri Mata is worshiped on the seventh day of Navratri, know the story behind it) - The Lekh


Goddess Kalratri Photos - Wordzz

माता कालरात्रि की कथा और पूजा विधि 

कालरात्रि माता (Kalratri Mata) को देवी दुर्गा के नौ रूपों में से सातवां रूप कहा जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के इस रूप को ध्यान में रखकर उनकी पूजा की जाती है। देवी का यह नाम उनके स्वरूप के कारण है। इस रूप में माता का रंग काजल के समान काला होता है। कथा है कि शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर देवी को बहुत क्रोध आया और उनका रंग श्यामल हो गया। इस श्यामल रूप से देवी कालरात्रि प्रकट हुईं।

 

पुराणों में माता कालरात्रि का वर्णन (Description of Mata Kalratri in Puranas)

देवी कालरात्रि की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा से माता भक्तों को वरदान देती हैं और निचले दाहिने हाथ से माता खड्ग और कंटीली मूसल धारण करती हैं। मां कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और उनके गले में बिजली की माला सुशोभित है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली चमक रही है। क्रोध में माता के नासिका से अग्नि निकलती है। माता कालरात्रि का वाहन गदर्भ है।

 

इस वजह से देवी कालरात्रि को शुभांकरी कहा जाता है। (That's why Goddess Kalratri is called Shubhankari)

माता कालरात्रि के इस भयानक रूप को देखकर राक्षस और नकारात्मक शक्तियां भयभीत हो जाती हैं। लेकिन माता कालरात्रि भक्तों पर अत्यधिक दया दिखाने वाली हैं। भक्तों के लिए सुलभ और स्नेही होने के कारण माता को शुभंकरी भी कहा गया है।

 

जब देवी ने चण्ड मुण्ड का वध किया था (When the goddess killed Chand Mund)

देवी भागवत पुराण के अनुसार, देवी कालरात्रि ने युद्ध में चण्ड मुण्ड के बालों को पकड़कर सिर को धड़ से अलग कर दिया था। देवी ने चण्ड मुण्ड का सिर लाकर देवी कौशिकी से कहा, मैंने चण्ड मुण्ड नाम के इन दो राक्षस के सिर काटकर आपके चरणों में रख दिए हैं। अब आप स्वयं युद्ध में शुंभ और निशुंभ का वध करें। देवी ने प्रसन्न होकर कालरात्रि से कहा कि आज से भक्त आपको चण्ड मुण्ड के वध के कारण चामुंडा देवी के नाम से भी बुलाएंगे, इसलिए देवी कालरात्रि को चामुंडा देवी भी कहा जाता है।

 

मां कालरात्रि की पूजा करने के फायदे (Benefits of Worshiping Maa Kalratri)

माना जाता है कि देवी कालरात्रि का पिंगला नाडी पर अधिकार है। यह देवी सभी सिद्धियों की दाता है। उनके अभ्यास से भविष्य में देखने की क्षमता विकसित होती है। भय मन को नष्ट कर देता है। देवी कालरात्रि अपने भक्तों को भोग और मोक्ष प्रदान करती हैं।

 

देवी कालरात्रि की पूजा और प्रसाद (Worship and offerings of Goddess Kalratri)

नवरात्रि के सातवें दिन देवी को खीर का भोग लगाना चाहिए। माता को मौसमी फल भी चढ़ाए जा सकते हैं। शाम के समय मां को खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।

 

देवी कालरात्रि का प्रिय फूल (Favorite flower of goddess kaalratri)

माता कालरात्रि की पूजा में लाल गुड़हल के फूलों का विशेष महत्व है। गुड़हल का फूल देवी को बहुत प्रिय होता है। यदि उपलब्ध हो तो 108 गुड़हल के फूलों की माला बनाकर देवी को अर्पित करना चाहिए। इससे मां कालरात्रि अत्यंत प्रसन्न होती हैं।

 Story and worship method of Mata Kalratri.

Kalratri Mata is said to be the seventh form of the nine forms of Goddess Durga. Keeping this form of mother in mind, she is worshiped on the seventh day of Navratri. This name of the goddess is due to her form. In this form, the complexion of the mother is black like kajal. Legend has it that seeing Shumbha-Nishumbha and his army, the goddess got very angry and her complexion became dark. Goddess Kalratri appeared in this Shyamal form.

 

Description of Mata Kalratri in Puranas

Goddess Kalratri has four arms. With the upper right arm, the mother grants boons to the devotees, and with the lower right hand, the mother holds a knife and a thorny pestle. Maa Kalratri's hair is open and her neck is adorned with a garland of lightning, which makes it appear that lightning is shining. In anger, fire emanates from the nostrils of the mother. The vehicle of Mata Kalratri is Gadarbha.

 

That's why Goddess Kalratri is called Shubhankari

The demons and negative forces get frightened on seeing this terrible form of Mata Kalratri. But Mata Kalratri is very kind to the devotees. Due to being accessible and affectionate to the devotees, the mother is also called Shubhankari.

 

When the goddess killed Chand Mund

According to Devi Bhagavata Purana, Goddess Kalratri had separated the head from the trunk by holding the hair of Chand Munda in the war. The goddess brought the head of Chand Mund and said to Goddess Kaushiki, I have cut off the heads of these two demons named Chand Mund and placed them at your feet. Now you yourself should kill Shumbha and Nishumbha in battle. The goddess pleased and told Kalratri that from today onwards devotees will also call you by the name of Chamunda Devi because of the killing of Chand Munda, hence Goddess Kalratri is also called Chamunda Devi.

 

Benefits of Worshiping Maa Kalratri

Goddess Kalratri is believed to have authority over Pingala Nadi. This goddess is the giver of all siddhis. Their practice develops the ability to look into the future. Fear destroys the mind. Goddess Kalratri provides Bhog and Moksha to her devotees.

 

Worship and offerings of Goddess Kalratri

Kheer should be offered to the Goddess on the seventh day of Navratri. Seasonal fruits can also be offered to the mother. In the evening, the mother should offer Khichdi.

 

Favorite flower of goddess kaalratri

Red hibiscus flowers have special significance in the worship of Mata Kalratri. The flower of hibiscus is very dear to the goddess. If available, a garland of 108 hibiscus flowers should be made and offered to the goddess. This makes Maa Kalratri very happy.

Singer - The Lekh