Diwali 2023: दिवाली की शाम जुआ खेलने की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई? जानिए किस तरह का जुआ खेलना माना जाता है शुभ - Bhajan Sangrah


दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देव की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व का पूरे देश में अलग ही हर्ष और उल्लास देखने को मिलता है। इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है। हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घर में बरकत लाने, धन प्राप्ति के लिए अलग-अलग तरह के उपाय करते हैं। कुछ ऐसी परंपराएं भी हैं जिन्हें लोग इस दिन निभाते हैं। दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा है। मान्यता है दिवाली के दिन जुआ खेलना शुभ होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर जुआ खेलने की परंपरा कब से शुरू हुई और दिवाली पर किस तरह का जुआ खेलना शुभ होता है। आइए जानते हैं विस्तार से। 

दिवाली की रात ऐसे शुरू हुई जुआ खेलने की परंपरा
दिवाली की रात जुआ खेलने को लेकर कुछ किवदंतियां जुड़ी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली की रात भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी देवी पार्वती जुआ खेलती थीं जिससे उन दोनों के बीच प्रेम बढ़ गया था। यही कारण है कि इस दिन जुआ खेलना शुभ माना जाता है। लेकिन जुआ खेलना तभी शुभ है जब उसे बिना पैसा लगे खेला जाता है। पैसे लगाकर दिवाली की रात जुआ खेलना बेहद अशुभ माना जाता है। इसका जिक्र हमें महाभारत में मिलता है। जुआ खेलने के कारण ही पांडव अपना राज, पाट, धन, दौलत ही नहीं अपनी पत्नी तक हार बैठे थे और नतीजा महाभारत के रूप में सामने आया। यानी दिवाली की रात पैसे लगाकर जुआ खेलना बहेद अशुभ माना जाता है। 

 

दिवाली की रात ऐसा जुआ खेलना होता है अशुभ 
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद परिवार के सदस्य घर में शगुन के लिए जुआ खेलते हैं। लेकिन वर्तमान समय में लोग पैसा लगाकर जुआ या सट्टा मटका खेलते हैं यह सही नहीं है। आजकल दिवाली की रात लॉटरी खेलने का चलन बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा करने से देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति को जीवन भर धन की कमी का सामना करना पड़ता है। 

 

दिवाली की रात ऐसे शुरू हुई जुआ खेलने की परंपरा
दिवाली की रात जुआ खेलने को लेकर कुछ किवदंतियां जुड़ी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली की रात भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी देवी पार्वती जुआ खेलती थीं जिससे उन दोनों के बीच प्रेम बढ़ गया था। यही कारण है कि इस दिन जुआ खेलना शुभ माना जाता है। लेकिन जुआ खेलना तभी शुभ है जब उसे बिना पैसा लगे खेला जाता है। पैसे लगाकर दिवाली की रात जुआ खेलना बेहद अशुभ माना जाता है। इसका जिक्र हमें महाभारत में मिलता है। जुआ खेलने के कारण ही पांडव अपना राज, पाट, धन, दौलत ही नहीं अपनी पत्नी तक हार बैठे थे और नतीजा महाभारत के रूप में सामने आया। यानी दिवाली की रात पैसे लगाकर जुआ खेलना बहेद अशुभ माना जाता है। 

दिवाली की रात ऐसा जुआ खेलना होता है अशुभ 
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद परिवार के सदस्य घर में शगुन के लिए जुआ खेलते हैं। लेकिन वर्तमान समय में लोग पैसा लगाकर जुआ या सट्टा मटका खेलते हैं यह सही नहीं है। आजकल दिवाली की रात लॉटरी खेलने का चलन बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा करने से देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति को जीवन भर धन की कमी का सामना करना पड़ता है। 

 

ऋग्वेद में भी मिलता है इसका उल्लेख 
ऋग्वेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है। ऋग्वेद के 10वें मंडल के कुछ सूक्त में एक जुआरी की कथा का उल्लेख मिलता है। इस कथा के अनुसार जुए की लत के चलते वह गरीब हो गया, उसे कोई उधार नहीं देता और उसकी सुंदर पत्नी भी छोड़कर चली गई है।

स्कंद पुराण में शिव-पार्वती की कथा का उल्लेख 
स्कन्द पुराण में भी उल्लेख मिलता है कि एक बार भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ दिवाली की रात को जुआ खेल रहे थे। माता पार्वती ने भगवान शिव को परास्त कर दिया। और इसी उत्साह में उन्होंने यह वरदान दिया कि जो भी दिवाली की रात जुआ खेलेगा उस पर साल भर माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। 

Singer - Bhajan Sangrah

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