Kartik Amavasya 2023: कार्तिक अमावस्या की कथा, तुलसी पूजा का महत्व, पूजा विधि और उपाय - Bhajan Sangrah
GaanaGao1 year ago 186हिंदू पंचांग में कार्तिक अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, जो कार्तिक महीने की अमावस्या को आता है। यह आध्यात्मिक गतिविधियों को करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है, विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा और अनुष्ठान करने के लिए यह दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन भक्त नदियों में स्नान करने के बाद भगवान की पूजा करते हैं और अपने परिवारों के लिए आशीर्वाद लेने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, जिस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। जानिए कार्तिक अमावस्या 2023 का शुभ मुहूर्त और इस दिन दीपक जलाने का क्या महत्व होता है।
कार्तिक अमावस्या 2023: तिथि और शुभ मुहूर्त
- कार्तिक अमावस्या तिथि 13 November, 2023 Monday को होगी।
- कार्तिक अमावस्या 12 November, 2023 को 14:44 मिनट पर शुरू होगी।
- कार्तिक अमावस्या 13 November, 2023 को 14:56 मिनट पर खत्म होगी।
कार्तिक अमावस्या 2023 पर इस विधि से करें पूजा
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के लिए साफ कपड़े पहनकर किसी साफ और शांत जगह पर बैठ जाएं।
- इसके बाद आप जिस देवता की पूजा करना चाहते हैं, उनके सामने दीपक जलाएं। आप इस दिन भगवान शिव या भगवान विष्णु की पूजा भी कर सकते हैं।
- फिर प्रभु को फूल, फल, मिठाई और अन्य प्रसाद चढ़ाएं। आप भगवान को दूध, शहद और अन्य वस्तुएं भी अर्पित कर सकते हैं।
- इसके बाद भगवान के मंत्रों का पाठ करें। यदि आप भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं, तो आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर सकते है। अगर आप भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं, तो “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कर सकते है।
- पूजा के दौरान धूप और अगरबत्ती जलाएं। यह एक सुखद और शांतिपूर्ण वातावरण बनाने में मदद करते हैं
- इसके बाद भगवान की आरती करें। आप देवता को प्रसन्न करने के लिए भजन या भक्ति गीत भी गा सकते हैं।
- किसी पुजारी या जरूरतमंद व्यक्ति को दक्षिणा (दान) दें। इस दिन यह एक पुण्य कार्य माना जाता है।
- भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करके, अपने परिवार और प्रियजनों की भलाई के लिए प्रार्थना करके पूजा का समापन करें।
- अंत में, पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद जरूर दें।
कार्तिक अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
कार्तिक अमावस्या महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो कार्तिक के पवित्र महीने की शुरुआत का प्रतीक है। साथ ही आध्यात्मिक गतिविधियों और तपस्या करने के लिए यह समय अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस महीने के दौरान अच्छे कर्म करने से भगवान का आशीर्वाद और पुण्य प्राप्त हो सकता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना जातक के लिए लाभदायक माना जाता है, विशेष रूप से शालिग्राम के रूप में, जो अत्यधिक पवित्र है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश जी की प्रार्थना करते हैं और उनसे आशीर्वाद पाने के लिए उपवास भी करते हैं।
ज्योतिषीय रूप से, कार्तिक अमावस्या पूर्वजों के तुष्टीकरण के लिए प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने का एक शुभ समय है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन पूर्वज अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। इस प्रकार, विशेष पूजा और तर्पण अनुष्ठान करने से उन्हें शांति मिलती है।
इसके अलावा, इस दिन नए उद्यम शुरू करने, ध्यान और योग जैसे आध्यात्मिक गतिविधियों को करने के लिए कार्तिक अमावस्या का दिन शुभ माना जाता है। अमावस्या की ऊर्जा पूर्वजों के आशीर्वाद के साथ मिलकर आध्यात्मिक विकास के लिए एक शक्तिशाली वातावरण बना सकती है।
इसके अतिरिक्त, कार्तिक अमावस्या का भगवान विष्णु के साथ एक विशेष संबंध है, जिनकी इस दिन लोग बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजा करते हैं।
कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाने का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है। माना जाता है कि इस दिन दीपक जलाने का विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व होता है। कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाना क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है, इसके कुछ कारण यहां दिए गए हैं:
- अंधकारः कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाने से अंधकार दूर होता है और जीवन में उजाला आता है। दीपक ज्ञान का प्रतीक है और इसे जलाने से अज्ञानता और अंधकार को दूर करने में मदद मिलती है।
- देवताओं का सम्मान: कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाना देवताओं का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि दीपक की लौ देवताओं की दिव्य उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करती है और इसे जलाने से जातक के घर और जीवन में भगवान की उपस्थिति को दर्शाया जाता है।
- पितर: ऐसा माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दीपक दिव्य प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है, जो दिवंगत की आत्माओं को उनके अगले गंतव्य तक ले जाता है।
- पूजा: कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाना पूजा करने और देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए शुभ माना जाता है। दीपक को देवताओं की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जलाया जाता है।
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वातावरणः कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और घर व आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि दीपक के प्रकाश का मन और शरीर पर शुद्ध प्रभाव पड़ता है और इसे नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करने में मदद मिलती है।
कार्तिक अमावस्या की कथा
कार्तिक अमावस्या पर बहुत सी कथाएं और पौराणिक घटनाएं मौजूद है। कार्तिक अमावस्या पर कई तरह के मंत्र अनुष्ठान ही किए जाते हैं। कार्तिक अमावस्या की कथा निम्नलिखित प्रकार है:
एक बार कार्तिक महीने की Amavasya के दिन देवी लक्ष्मी जी पृथ्वी पर विचरण कर रही थी, पर अंधेरा ज्यादा होने की वजह से दिशा सही से पता नहीं चल पाती है। देवी लक्ष्मी जी अपने रास्ते से भटक जाते हैं। देवी लक्ष्मी जी को आगे रास्ते में चलते हुए एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है। देवी उस रोशनी के पास जाती है। जब देवी लक्ष्मी जी वहां पहुंचती है तो, वहां एक झोपड़ी होती है। वहां एक बूढ़ी औरत ने अपने घर के बाहर दीपक जलाए होती है और उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था। वह औरत अपने घर के बाहर आंगन में बैठकर काम कर रही होती है। देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत से वहां रुकने के लिए जगह मांगती हैं। वह बूढ़ी औरत देवी लक्ष्मी जी के आराम करने के लिए स्थान देती है। वह उनके बिस्तर की व्यवस्था भी कर देती है। देवी लक्ष्मी जी वहां आराम करने के लिए रुक जाती हैं।देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के स्वभाव और सेवा से बहुत प्रसन्न होती हैं। फिर वह बूढ़ी औरत अपना काम करते हुए वहीं सो जाती है। अगले दिन जब वह बूढ़ी औरत जाती है, तो देखती है कि उसकी साधारण की झोपड़ी एक महल के समान सुंदर भवन में बदल जाता है। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है। माता लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के घर से कब चली गई थी। इस बात का बूढ़ी महिला को पता नहीं चल पाता है। फिर लक्ष्मी माता जी इस बूढ़ी महिला को दर्शन देती है। माता लक्ष्मी जी कहने लगी कि जो कार्तिक अमावस्या के दिन अंधकार के समय दीपक जलाता है और रोशनी के मार्ग को उज्जवल करता है। उसे मेरा आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसके बाद से हर कार्तिक अमावस्या को रात में प्रकाश का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन से कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा की परंपरा चली आती है। इस दिन लक्ष्मी माता जी के आगमन के लिए पूजा पाठ किया जाता है। इस दिन घरों के दरवाजे खोल कर रखे जाते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाना फलदायक होता है ।
कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी पूजा का महत्व
कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी पूजा करने से भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक अमावस्या के दिन सनान करने के बाद तुलसी और सूरज काजल दिया जाता है। तुलसी माता की पूजा अर्चना की जाती है। कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी के पौधे का दान किया जाता है। तुलसी पूजा करने से घर के रोग दुख दूर होते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी पूजा करने से अर्थ, धर्म, कर्म तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक अमावस्या पर स्नान का महत्व
कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन स्नान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है, तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन स्नान करते हुए भगवान विष्णु जी का ध्यान किया जाता है। कार्तिक अमावस्या में ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने से धरती के जितने तीर्थ स्थान हैं, उसका पुण्य प्राप्त होता है। कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
कार्तिक अमावस्या के दिन ध्यान रखने वाली बातें
- कार्तिक अमावस्या के दिन निश्चित मात्रा में ही भगवान की मूर्तियां रखनी चाहिए।
- इस दिन पूजा करते समय ताली नहीं बजानी चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
- कार्तिक अमावस्या के दिन नाखून काटना और शेविंग जैसे काम नहीं किए जाते।
- कार्तिक अमावस्या के दिन घर को साफ रखना चाहिए।
- कार्तिक अमावस्या के दिन किसी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- इस दिन बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक अमावस्या के दिन मास और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
Singer - Bhajan Sangrah
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