क्यों और कैसे मनाया जाता है हरियाली तीज का त्योहार, सबसे पहले किसने रखा था यह व्रत (Kyon Aur Kaise Manaya Jata Hai Haryali Teej Ka Tyohar, Sabse Pahle Kisne Rakha Tha Yah Vrat) - The Lekh


पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है. इस साल शनिवार 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज मनाई जाएगी. अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और मां पार्वती-शिवजी की पूजा करती हैं.

सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को कर सकती हैं. इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और योग्य वर मिलता है. इसलिए महिलाओं को हरियाली तीज के पर्व का हर साल बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, सबसे पहली बार किसने इस व्रत को रखा था और क्यों. आखिर कैसे शुरू हुई सावन मास में हरियाली तीज व्रत की परंपरा. आइये जानते हैं.

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज?

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस त्योहार को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने घोर तप किया था और 107 जन्म लिए थे. कठोर तप के बाद 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. कहा जाता है कि ​तभी से इस त्योहार की शुरुआत हुई.

सबसे पहले किसने रखा था हरियाली तीज का व्रत

पौराणिक मान्यता है कि, सबसे पहली बार हरियाली तीज का व्रत राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने रखा था. इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें शिवजी पति के रूप में मिले थे. इसलिए हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं.

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, व्रत रखती हैं और मां गौरी और शंकर जी की पूजा-अराधना करती हैं. महिलाएं हरियाली तीज को एक उत्सव की तरह मनाती हैं. सभी महिलाएं हरी-हरी चूड़ियां, वस्त्र और लहरिया पहनती हैं, भोले और पार्वती के भजन गाए जाते हैं और रात्रि जागरण किया जाता है. इस दिन झूला झूलने की भी परंपरा है.

कैसे मनाते हैं हरियाली तीज का त्योहार?

हरियाली तीज का त्योहार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कई जगह सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करती हैं. वहीं कई क्षेत्रों में हरियाली तीज के दिन पकवान बनाएं जाते हैं. हरियाली तीज के दिन बेटी या बहन के घर सिंधारा भेजा जाता है जिसे कुछ इलाकों में सिंजारा भी कहा जाता है. सिंधारे में बेटी के कपड़े, श्रृंगार और कुछ मीठा होता है. इस दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और उनके लिए विशेष प्रकार के पकवान आदि बनाएं जाते हैं. जो महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत करती हैं वह दिन भी जल भी ग्रहण नहीं करतीं. व्रत खोलने के बाद ही कुछ जाते हैं.

Singer - The Lekh

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