Navratri 2023 First Day Puja: नवरात्रि की प्रथम देवी हैं मां शैलपुत्री, मां शैलपुत्री की पूजा में इस विधि का करें प्रयोग, जानें मंत्र सहित सारी जानकारी। - Bhajan Sangrah
GaanaGao1 year ago 194Navratri Puja 2023: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इस साल 15 अक्टूबर से शुरू हुआ नवरात्रि के ये पावन पर्व 24 अक्टूबर को यानी नवमी तिथि के दिन समाप्त होगा. इन नौ दिनों में देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है. पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म लेने कारण देवी शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं. देवी का यह स्वरूप इच्छाशक्ति और आत्मबल को दर्शाता है .
नवरात्र के 9 दिन भक्ति और साधना के लिए बहुत पवित्र माने गए हैं. इसके पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है. शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं. हिमालय पर्वतों का राजा है. मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है. घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी पशु-पक्षियों, जीव की रक्षक मानी जाती हैं. नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है.
मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण कर वृषभ की सवारी करती हैं. देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है. ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं. मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है.
मां शैलपुत्री का वाहन है वृषभ
मां शैलपुत्री का वास काशी नगरी वाराणसी में माना जाता है. यहां शैलपुत्री का एक बेहद प्राचीन मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां मां शैलपुत्री के सिर्फ दर्शन करने से ही भक्तजनों की मुरादें पूरी हो जाती हैं. मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया. लेकिन सती को आमंत्रित नहीं किया गया था. लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने को तैयार थीं. भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि ऐसे बिना बुलाए जाना सही नहीं. लेकिन सती नहीं मानी. ऐसे में सती की जिद्द के आगे भगवान शिव ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी.
क्रोधित होकर यज्ञ में खुद को किया भस्म
पिता के यहां यज्ञ में सती बिना निमंत्रण पहुंच गई. सती के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया . वहां सती ने अपनी माता के अलावा किसी से सही से बात नहीं की. इतना ही नहीं, सती की बहनें भी यज्ञ में उनका उपहास उड़ाती रहीं. ऐसा कठोर व्यवहार और पति का अपमान सती बर्दाश्त नहीं कर पाईं और क्रोधित उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर दिया. भगवान शिव को जैसे ही ये समाचार मिला उन्होंने अपने गणों को दक्ष के यहां भेजा यज्ञ विध्वंस करा दिया. शास्त्रों के अनुसार अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और इनका नाम शैलपुत्री रखा गया. अतः नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.
मां शैलपुत्री का प्रिय रंग (Maa Shailputri Favorite Color)
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है. इसलिए पूजा के दौरान उन्हें सफेद रंग की चीजें बर्फी आदि का भोग लगाया जाता है. पूजा में सफेद रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं. पूजा के समय सफेद रंग के वस्त्र धारण करना लाभकारी है. इस दिन जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी और मिश्री रखकर अर्पित करने से सभी समस्याओं का अंत होता है.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन प्रातः स्नान कर निवृत्त हो जाएं।
- फिर मां का ध्यान करते हुए कलश स्थापना करें।
- कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री के चित्र को स्थापित करें।
- मां शैलपुत्री को कुमकुम (पैरों में कुमकुम लगाने के लाभ) और अक्षत लगाएं।
- मां शैलपुत्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- मां शैलपुत्री को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें।
Singer - Bhajan Sangrah
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